मुरादाबाद : फिर खाकी के लिए तिलिस्म बना नशे का काला कारोबार

मुरादाबाद : फिर खाकी के लिए तिलिस्म बना नशे का काला कारोबार

मुरादाबाद,अमृत विचार। नशे के माफिया ने मुरादाबाद को फिर एक नया तिलिस्म बना दिया है। नशे के सौदागरों के इंद्रजाल की काट पुलिस के पास नहीं है। खाकी की नाकामी व विफलता का सबसे नायाब नमूना वह आदर्श नगर उर्फ भातू कॉलोनी है, जिसे अपने दोबारा आबाद होने का गुमान है। कच्ची शराब, अफीम, चरस, …

मुरादाबाद,अमृत विचार। नशे के माफिया ने मुरादाबाद को फिर एक नया तिलिस्म बना दिया है। नशे के सौदागरों के इंद्रजाल की काट पुलिस के पास नहीं है। खाकी की नाकामी व विफलता का सबसे नायाब नमूना वह आदर्श नगर उर्फ भातू कॉलोनी है, जिसे अपने दोबारा आबाद होने का गुमान है। कच्ची शराब, अफीम, चरस, गांजा व हिरोइन जैसे महंगे नशे मुहैया कराने में भातू कॉलोनी को पल भर की देर नहीं लगती। नशे का सामान आन-बान व शान से बेचा रहा है। यह महज बानगी है। पूरी पीतलनगरी ही नशे के माफिया की जाल में जकड़ी है। बगैर इच्छाशक्ति व प्रतिबद्धता के नशे के माफिया का जाल काटना मुमकिन नहीं है।

पीतलनगरी में नशे के माफिया के पकड़े जाने का सिलसिला जारी है। फिर भी पुलिस नशे के तिलिस्मी कारोबार की तह तक पहुंचने में विफल है। पुलिस की विफलता सोचने पर मजबूर करती है कि जब चारों तरफ खाकी के मुखबिरों का जाल बिछा है, तब नशे के कारोबारी अपने मंसूबे कैसे अंजाम दे रहे? बरेली ही नहीं, बल्कि उत्तराखंड व ओडिशा से नशे की खेप कैसे पहुंच रही। पुलिस के 24 घंटे के पहरे को धता ठहराते हुए नशे के सौदागार शहर के बीचोंबीच तक पहुंच कैसे बना रहे? इन सवालों के जवाब की तलाश तब लाजमी है, जब पूर्व में काले कारोबार की जड़ पर प्रहार करने की इच्छाशक्ति पुलिस दिखा चुकी है। वक्त गुजरा और तस्वीर फिर जस की तस हो गई।

माफिया ने कर ली है सिस्टम से सांठगांठ
नशेड़ियों व नशे के माफिया से 24 घंटे गुलजार रहने वाली भातू कॉलोनी ने खुद को दोबारा आबाद करने की कवायद में सिस्टम से समझौता कर लिया। यह दावा करने वाले कोई और नहीं, बल्कि नशे के कारोबार में लिप्त लोग हैं। नाम न छापने की शर्त पर कॉलोनी के एक बाशिंदे ने पूछा कि जिस मोहल्ले पर नजर रखने के लिए पूरी एक पुलिस चाकी की स्थापना की गई है। तेज तर्रार दारोगा व सिपाहियों की तैनाती है। आबकारी विभाग तक सक्रिय है। फिर भी वहां नशे का कारोबार क्यों फल फूल रहा? जवाब पूरे सिस्टम को सवालों के कटघरे में खड़ा करता है। आबकारी विभाग ही नहीं, बल्कि पुलिस की भूमिका तक पर सवाल उठते हैं। नशे के कारोबार को भातू कॉलोनी की नियत मान कर सिस्टम भी खामोश हो गया है। नशे के माफिया के सामने सिस्टम के समर्पण से ही भातू कॉलोनी व पूरा मुरादाबाद नशीले कारोबार में फंसा है।

50-500 रुपये में बिकती है पुड़िया
भातू कॉलोनी में नशे का हर सामान उपलब्ध है। लग्जरी कार, बाइक व साइकिल के अलावा पैदल कॉलोनी तक पहुंचने वाले नशेड़ी 50 रुपये से 500 रुपये तक नशे की पुड़िया पर खर्च करते हैं। सूत्र बताते हैं कि कच्ची शराब के अलावा चरस, अफीम, गांजा व हिरोइन का पूरा कारोबार दो से तीन लोगों के हाथ में है। वह पूरे शहर में नशीला पदार्थ बेचने के लिए महिलाओं व बच्चों की मदद लेते हैं।

दो साल पहले एसएसपी अमित पाठक ने किया था नशे की जड़ पर प्रहार
दो वर्ष पहले तत्कालीन एसएसपी अमित पाठक ने नशे के कारोबार के जड़ पर कड़ा प्रहार किया था। सिविल लाइंस थाने की भातू कॉलोनी यूं तो कच्ची शराब बनाने व बेचने के लिए कुख्यात है। कॉलोनी की पनाह में अफीम, चरस, हिरोइन व गांजा के तस्कर भी शरण लेते हैं। तत्कालीन एएसपी आदित्य लांग्हे व सिविल लाइंस पुलिस को एसएसपी ने पूरी कॉलोनी की मैपिंग का आदेश दिया। फिर उन लोगों की सूची बनाई, जिन्होंने काले कारोबार को जीविकोपार्जन का जरिया बना रखा है। कुल 556 परिवारों का सर्वे हुआ। इनमें 52 परिवार ऐसे मिले, जो गरीबी रेखा के नीचे थे। आपराधिक गतिविधियों से जुड़े इन परिवारों के युवाओं को रोजगार मुहैया कराने की योजना बनी। रोजगार मेला लगा। इसमें शहर के नामी-गिरामी निर्यात फर्मों व कंपनियों के मालिक शामिल हुए। 33 युवाओं को तत्काल रोजगार भी मिला। तब लगा कि पुलिस की मुहिम रंग लाएगी। भातू कॉलोनी को अपराध के चंगुल से मुक्त कराने में सफलता मिलेगी।

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