झांसी में नाइट कर्फ्यू, नये साल के जश्न की उम्मीदों पर फिरा पानी

झांसी। उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में कोविड-19 के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के मद्देनजर प्रशासन के नाइट कर्फ्यू लगाये जाने से नये साल के जश्न की तैयारियों में लगे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कोविड-19 की दूसरी लहर न केवल देश और दुनिया, बल्कि वीरांगनाा नगरी में ही बेहद …
झांसी। उत्तर प्रदेश की वीरांगना नगरी झांसी में कोविड-19 के नये वेरिएंट ओमिक्रॉन के खतरे के मद्देनजर प्रशासन के नाइट कर्फ्यू लगाये जाने से नये साल के जश्न की तैयारियों में लगे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। कोविड-19 की दूसरी लहर न केवल देश और दुनिया, बल्कि वीरांगनाा नगरी में ही बेहद दुख लेकर आयी और महानगर में शायद ही कोई ऐसा परिवार रहा हो जिसने इस महामारी में किसी प्रियजन को न खोया हो लेकिन वर्ष 2021 के बाद के महीनों में कोरोना के कम होते प्रभाव के बीच धीरे-धीरे जिंदगी पटरी पर आने लगी और यहां तो स्थिति काफी हद तक सामान्य नजर आ रही थी।
लेकिन दिसंबर से हालात फिर से बिगड़ना शुरू हो गये। देश में कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए झांसी प्रशासन ने भी ऐहतियातन रात ग्यारह बजे से सुबह पांच बजे नाइट कर्फ्यू लगा दिया। प्रशासन के इस फैसले से लोगों को विशेषकर नौजवानों में निराशा फैल गयी है। यहीं वर्ग दो साल बाद इस बार नये साल का जश्न मनाने की पूरी तैयारी में लगा था। इस वर्ग के अलावा होटलों, रेस्त्रां और क्लबों के व्यवसाय से जुड़े लोगों को भी बड़ी निराशा हुई है। इसके साथ ही बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के छात्रों ने कहा कि वे बहुत जोश के साथ इस बार नये साल का जश्न मनाने की तैयारी कर रहे थे। लेकिन अचानक ओमिक्रॉन के बढ़ते खतरे ने जश्न के सारे सुरूर को उतार दिया है और कोरोना काल की दूसरी लहर के दौरान हुए भयावह अनुभवों का डर एक बार फिर सताने लगा है।
पढ़ें: बरेली: चौकी का सिपाही मांगता था 50 हजार, नहीं देने पर फंसाने की धमकी, तंग आकर युवक ने किया सुसाइड
इसके साथ ही बीकॉम द्वितीय वर्ष के छात्र अमन ने कहा कि वह और उसके साथी इस बात को सोच कर ही बहुत आनंदित थे कि इस बार नये साल की रात सब मिलकर धमाल करेंगे और पिछले साल के बुरे अनुभवों की टीस कुछ कम करने में मदद मिलेगी। यह जश्न केवल नये साल का ही नहीं होता। बल्कि जिंदगी फिर से पटरी पर आने का उत्सव भी होता, लेकिन ओमिक्रॉन ने सारी उम्मीदों पर पानी फेर दिया। इसी तरह महानगर के बड़े होटल एंबिएंस, लेमन ट्रीन, झांसी होटल और के-3 आदि में चल रहे नये साल के जश्न की तैयारियों को भी बड़ा झटका लगा है।
इस व्यवसाय से जुड़े लोगों का कहना है कि दो साल तो कोरोना के खतरे ने होटल इंडस्ट्री की कमर ही तोड़ कर रख दी। अब स्थितियां कुछ सामान्य होने लगीं थीं और लोग भी नये साल की पार्टियों के लिए रजिस्ट्रेशन आदि कराने में दिलचस्पी लेने लगे थे। लेकिन अचानक ओमिक्रॉन के खतरे ने पुरानी भयावह यादों को सबके मानस पटल पर फिर से जाग्रत कर दिया और कुछ लोग बीमारी के भय तो कुछ प्रशासन की सख्ती के बीच जश्न से कतराते दिखायी दे रहे हैं।