मुरादाबाद : पढ़ाई छोड़ असहयोग आंदोलन में कूदे थे दाऊ दयाल खन्ना, मंडी चौक से जली थी क्रांति की मशाल

मुरादाबाद : पढ़ाई छोड़ असहयोग आंदोलन में कूदे थे दाऊ दयाल खन्ना, मंडी चौक से जली थी क्रांति की मशाल

मुरादाबाद,अमृत विचार। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दाऊ दयाल खन्ना गांधी जी के आह्वान पर 1930 में कालेज की पढ़ाई छोड़कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़े थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भाग लेकर उन्होंने वर्ष 1931 व 1932 में सत्याग्रह आंदोलन और वर्ष 1941 तथा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल की यात्रा की। चार …

मुरादाबाद,अमृत विचार। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी दाऊ दयाल खन्ना गांधी जी के आह्वान पर 1930 में कालेज की पढ़ाई छोड़कर असहयोग आंदोलन में कूद पड़े थे। स्वतंत्रता की लड़ाई में सक्रिय भाग लेकर उन्होंने वर्ष 1931 व 1932 में सत्याग्रह आंदोलन और वर्ष 1941 तथा 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में जेल की यात्रा की। चार साल तक उन्होंने जेल में अंग्रेजों की यातनाएं सहीं। इस संकट काल में उनकी माता मनोहरी देवी ने धैर्य और बहादुरी से परिवार का संचालन किया और उनके लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहीं।

गाथा

  • अताई स्ट्रीट स्थित श्री दाऊजी के मंदिर से होता आंदोलन का संचालन
    बृजरतन हिंदू पब्लिक लाइब्रेरी में होती थीं क्रांतिकारियों की बैठकें

वर्ष 1942 में नौ अगस्त को देश भर में कांग्रेसियों को गिरफ्तार किया जा रहा था। मुरादाबाद जिला भी इससे अछूता नहीं रहा। ‘अंग्रेजों भारत छोड़ो’ के आह्वान से बौखलाई ब्रिटिश सरकार ने देशभर में ऑपरेशन जीरो ऑवर के तहत आंदोलनकारियों की धरपकड़ शुरू कर दी। जिले भर में कांग्रेस नेताओं के घर छापे पड़ने लगे। नगर में आजादी के सिपाहियों का मुख्य केंद्र मंडी चौक और अमरोहा गेट था। अमरोहा गेट पर बृजरतन हिंदू पब्लिक लाइब्रेरी में आंदोलकारियों की गुप्त बैठकें होती थीं। यहां मोहल्ला लोहागढ़ निवासी हृदयनारायण खन्ना, छदम्मीलाल विकल के नेतृत्व में संघर्ष की रूपरेखा बनती थी। यहीं पर भूरे खां गली में जुगल किशोर शर्मा का होटल था। यहां भी स्वतंत्रता सेनानियों का जमघट लगता था। अताई स्ट्रीट स्थित श्री दाऊजी के मंदिर में कांग्रेस का कार्यालय था।

इसी मोहल्ले में दाऊ दयाल खन्ना रहते थे। यहीं से वह आजादी के आंदोलन का संचालन करते थे। दाऊ दयाल नमक सत्याग्रह, सविनय अवज्ञा आंदोलन और व्यक्तिगत सत्याग्रह में जेल जा चुके थे। 1941 में जेल से छूटकर आने के बाद वह फिर से अंग्रेजों के खिलाफ लोगों को जागरूक करने में जुट गए। कांग्रेसियों की गिरफ्तारी का आदेश मिलते ही पुलिस ने सबसे पहले दाऊदयाल खन्ना के घर छापा मारकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

कांग्रेस के अन्य नेता भी गिरफ्तार किए गए। इसकी जानकारी होते ही उनके कुछ साथी भूमिगत हो गए। प्रोफेसर रामशरण भी इनमें से एक थे। वह हिंसात्मक आंदोलन में विश्वास नहीं करते थे। पुलिस की नजरों से बचते हुए वह ग्रामीण क्षेत्रों में घूमकर आंदोलन को गति देने में जुट गए। कुछ समय बाद उन्होंने आत्मसमर्पण कर दिया और गिरफ्तार होकर मुरादाबाद जेल आ गए। इस आंदोलन में शामिल जीलाल स्ट्रीट निवासी भगवत शरण अग्रवाल ‘जेली’ का नाम भी उल्लेखनीय है। वह भी तमाम आन्दोलनों में जेल जा चुके थे।

आंदोलन के सिलसिले में वह कई साल नजरबंद रहे। इनके अलावा पंडित शंकर दत्त शर्मा, ख्यालीराम शास्त्री, पटपट सराय निवासी चौधरी रामगोपाल सिंह, पान दरीबा निवासी संतशरण अग्रवाल, चौधरी शिव स्वरूप सिंह, संभल निवासी नुरूल हसन, कांठ निवासी आनंद स्वरूप अग्रवाल, दढ़ियाल निवासी डाॅ. प्रीतम शरण तथा संभल निवासी अब्दुल कय्यूम आदि भी गिरफ्तार कर लिए गए थे।

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