आज का संपादकीय: नियमों का मकसद

आज का संपादकीय: नियमों का मकसद

डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियम, 2025 के बहुप्रतीक्षित मसौदे पर तकनीकी उद्योग के विशेषज्ञों के आशावादी रुख से साफ हो गया है कि मसौदा व्यक्तिगत जानकारी को जिम्मेदारी से संभालने के लिए स्पष्ट दिशा निर्देश स्थापित करके भारत के डिजिटल गोपनीयता ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। हालांकि उद्योग संघों ने अभी मसौदे पर सीधे तौर पर कोई टिप्पणी नहीं की है। डिजिटल व्यक्तिगत डेटा संरक्षण नियमों के मसौदे का उद्देश्य नागरिकों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा के अधिकारों की रक्षा करना है।

कहा जा रहा है कि सरलता और स्पष्टता के साथ बनाए गए ये नियम तेजी से बढ़ती डिजिटल अर्थव्यवस्था में नागरिकों को सशक्त बनाने के लिए डिजाइन किए गए हैं। डिजिटल अर्थव्यवस्था, डिजिटल प्रौद्योगिकियों से संचालित आर्थिक गतिविधियों से मिलकर बनी है। मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि बच्चों द्वारा कोई भी अकाउंट बनाने से पहले सोशल मीडिया या ऑनलाइन प्लेटफॉर्म को माता-पिता की सत्यापन योग्य सहमति लेनी होगी। इसके अलावा, मसौदा नियमों के अनुसार, माता-पिता की पहचान और आयु को भी स्वैच्छिक रूप से प्रदान किए गए पहचान प्रमाण के माध्यम से मान्य और सत्यापित करना होगा, जो  कानून या सरकार द्वारा सौंपी गई किसी संस्था द्वारा जारी किया जाएगा। 

देश में निजता का अधिकार एक मौलिक अधिकार है जो किसी व्यक्ति के अनुचित हस्तक्षेप के बिना व्यक्तिगत विकल्प चुनने की क्षमता की रक्षा करता है। इसकी गारंटी भारत के संविधान के अनुच्छेद 21 द्वारा दी गई है, जो जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार की भी रक्षा करता है। वास्तव में डेटा सुरक्षा व्यवस्था तैयार करने से लोगों को उनकी व्यक्तिगत जानकारी पर नियंत्रण मिलेगा और वे सशक्त महसूस करेंगे। ये मसौदा नियम नवाचार-संचालित और समावेशी विकास को सुरक्षित करते हुए, नागरिकों के डिजिटल व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा सुनिश्चित करने की भारत की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है।

सरल ढांचे के अनुरूप, नियमों का मसौदा तैयार करते समय सरल भाषा, अनावश्यक क्रॉस रेफरेंसिंग, प्रासंगिक परिभाषा और चित्रण आदि जैसे कुछ सिद्धांतों का उपयोग किया गया है। विशेषज्ञों का कहना है कि व्यवसायों को सहमति के प्रबंधन में ‘जटिल चुनौतियों’ का भी सामना करना पड़ सकता है। महत्वपूर्ण है कि डिजिटल प्लेटफार्म को लोगों की पसंद की भाषा में जानकारी देनी होगी। शिकायतों का निवारण करने के लिए, चूक की प्रकृति और गंभीरता, प्रभाव को कम करने के लिए किए गए प्रयास जैसे कारकों पर विचार करना ज़रूरी होगा। इन नियमों से डेटा संरक्षण में वैश्विक नेतृत्व हासिल करने में मदद मिलेगी और भारत अन्य देशों के साथ मिलकर काम कर सकेगा।

ताजा समाचार