पीलीभीत: आतंकियों की अंधाधुंध फायरिंग में छलनी हो गई थी बरखा, बेटी की याद में छलक पड़ते हैं परिवार के आंसू
बिलसंडा, अमृत विचार: उस रूह कंपा देने वाली घटना को साढ़े तीन दशक बीत चुके हैं। मगर उस वक्त आतंकवाद के दौर में मिला जख्म परिवार अभी भी नहीं भूल सका है। आतंकवाद का नाम आते ही परिवार के जहन में वह भयावह मंजर आ जाता है। शनिवार को अमृत विचार संवाददाता ने पीड़ित परिवार से संवाद किया तो वह फफक पड़े। आंखों से बहते आंसुओं को पोंछते हुए उस वक्त की दास्तां सुनाई।
घटना पांच दिसंबर 1990 की है। शाम के वक्त हल्के कोहरे के बीच बाइक पर सवार दो आतंकियों ने नगर के बीचोंबीच किराना व्यापारी ओमप्रकाश जायसवाल का एके 47 की नोक पर अपहरण कर लिया था। उन्हें लेकर आतंकी शिंवुआ मरौरी की ओर चल पड़े। इतने में ही लाला ओमप्रकाश बाइक से कूदकर सामने के घर मे भागे,तो आतंकी बिंदा ने ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। जिससे उनके पैर में गोली लगी थी, लेकिन दरवाजे पर खड़ी 15 वर्षीय बरखा को गोलियों से छलनी कर दिया था। जिसके चलते मौके पर ही उसने दम तोड़ दिया था। हालांकि उस वक्त काफी भागदौड़ भी की गई। अपहरणकर्ताओं ने लाला को पसिगवां के घने जंगलों में सप्ताह भर रखने के बाद मोटी फिरौती लेकर छोड़ दिया था।
फायरिंग से सहम गया था कस्बा
सर्दियों का मौसम था। मुझे आज भी याद है,जब ताऊजी का अपहरण करने दो आतंकी बाइक से पुराने मकान के नीचे किराने की दुकान पर पहुंचे थे।दोनो ने कंबल ओढ़ रखे थे।पहले उन्होंने नाम पूछा,नाम बताते ही जबरन बाइक पर बिठाने लगे।आनाकानी की तो एक ने कारवांइन से ताबड़तोड़ गोलियां दागीं। जिससे सामने घर मे खड़ी बेकसूर युवती की मौत हो गई थी। आज भी वह खूनी मंजर यादकर रूह कांप जाती है। - विक्रमनरेश जायसवाल, पेट्रोलियम व्यापारी
बहन की याद में आज भी छलक पड़ते आंसू
मुझे आज भी याद है जब मेरी बहन बरखा पड़ोस में अपनी सहेली से मिलने को दरवाजे से निकली ही थी कि सामने से आ रहे आतंकियों द्वारा उस पर अंधाधुंध गोलियां बरसाई गई। हमारे सामने ही मां की गोद में तड़पते हुए बहन ने दम तोड़ दिया। उस घटना को याद कर परिवार आज भी फफक पड़ता है- विजय कश्यप, मृतका के भाई।
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