Kanpur में औद्योगिक गलियारा: जमीन देने को अब तक सिर्फ 23 किसान ही राजी, किसानों को सता रहा इस बात का डर...
कानपुर, अमृत विचार। अरौल में औद्योगिक गलियारे के लिए जमीन देने की स्थिति अभी किसानों की ओर से धुंधली है। जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह ने भी प्रयास किया। चौपाल लगाकर किसानों को समझाया व रोजगार मिलने की बात कही, लेकिन राजी नहीं हुए। किसान भूमिहीन होने का डर और कम मुआवजा के कारण जमीन देने को तैयार नहीं हो रहे हैं। किसानों को अंतिम बार मौजूदा नए सर्किल रेट पर मुआवजे दिलाने का आश्वासन देकर रजामंद करने का प्रयास जारी है। उसके बाद भी सिर्फ 23 किसानों ने ही अपनी रजामंदी दी है।
आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर अरौल में 98.33 हेक्टेयर में औद्योगिक गलियारा बनने की उम्मीद अभी अटकी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अक्टूबर 2023 में कानपुर समेत सात जिलों में एक्सप्रेसवे परियोजनाओं के माध्यम से औद्योगिक गलियारा बनाने की घोषणा की थी। जिसमें आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे के किनारे जमीनों को अधिग्रहीत कर उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवे औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) में शामिल करना था।
इसी के तहत बिल्हौर तहसील क्षेत्र के अरौल व बहरामपुर गांव की 98.33 हेक्टेयर जमीन को यूपीडा में शामिल करने के आदेश हुए थे। एक्सप्रेसवे के किनारे अरौल के 349 किसानों की 46.30 हेक्टेयर और बहरामपुर गांव के 319 किसानों की 48.79 हेक्टेयर जमीन औद्योगिक गलियारे के लिए चिह्नित भी की गई थी। 2015 के सर्किल रेट के आधार पर किसानों को चार गुना मुआवजा दिया जाना था। इस पर किसान ही राजी नहीं हुए तो उन्हें समझाने के लिए चौपाल लगाई गई।
बीते करीब 20 दिन पहले जिलाधिकारी राकेश कुमार सिंह खुद किसानों से मिलने चौपाल में पहुंचे और हर किसान से बात की। उन्हें औद्योगिक गलियारे से होने वाले फायदे बताए, इसके बाद भी किसान राजी नहीं हुए। आखिर में जिलाधिकारी ने नए सर्किल रेट के आधार पर किसानों को मुआवजा दिलाने का भरोसा दिलाया।
अब एसडीएम बिल्हौर रश्मि लांबा किसानों को मुआवजे की धनराशि बताकर राजी करने का प्रयास कर रही हैं। अधिकांश किसान मौजूदा नए सर्किल रेट से दोगुने पर मुआवजे की मांग कर रहे हैं। चौपाल से इतना जरूर फायदा हुआ है कि 23 किसानों ने सहमति दी है। अब फाइनल रिपोर्ट आने पर औद्योगिक गलियारे की स्थिति स्पष्ट होगी।
टुकड़ों में जमीन भी बनी रोड़ा
एसडीएम के अनुसार जो किसान जमीन देने के लिए राजी हैं, उनकी भूमि भी अलग-अलग स्थानों पर टुकड़ों में है। इस पर यूपीडा के अधिकारियों का कहना है कि टुकड़ों की जमीनों का बैनामा उसी दशा में होगा जब जमीनें 3-4 हेक्टेयर एह की स्थान पर होंगी। जबकि अनेक किसानों की जमीनें इस मानक पर खरी नहीं हैं।
किसानों को मौजूदा नए सर्किल रेट पर मुआवजा दिलाया जाएगा। इसके बाद भी अधिकांश किसान राजी नहीं हो रहे हैं। अभी तक 23 किसानों ने ही अपनी स्वीकृति दी है। इसकी एक सप्ताह में फाइनल रिपोर्ट तैयार हो जाएगी। - रश्मि लांबा, एसडीएम बिल्हौर
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