कानपुर में ई-रिक्शों की अराजकता से दिनभर रहता महाजाम: सैकड़ों बाइकें बीच सड़क पर बेतरतीब खड़ी रहतीं, लोग होते परेशान
कानपुर, अमृत विचार। यतीमखाना से तलाक महल होते हुए रूपम चौराहा की ओर जाने पर कुछ दुकानदारों ने फुटपाथ से लेकर सड़क तक दुकानें बढ़ाकर लगा ली हैं। बची खुची सड़क पर सैकड़ों ई रिक्शों की भरमार, धमाचौकड़ी ने यातायात का बंटाधार कर रखा है। लोग शाम को यतीमखाना से तलाक महल होते हुए रूपम चौराहा की ओर न तो जाते हैं और न ही आते हैं क्योंकि ई रिक्शों की बीच निकलना टेढ़ी खीर है।
परेड खड़खड़ा वाले चौराहा से ही ई रिक्शों की अराजकता दिखाई देने लगती है। दर्जनों ई रिक्शे बीच सड़क पर खड़े रहते हैं। जरा सा आगे बढ़ें तो यतीमखाना तक सड़क के दोनों ओर रेडीमेड बांग्लादेशी कपड़ों की बिक्री और कपड़ों में खराब चेन लगाने वालों की दुकानें सड़क पर दिखाई दे जाएंगी। यतीमखाना मोड़ पर नानपारा मस्जिद के नीचे सड़क संकरी होने के कारण जाम लगता है। तलाक महल में दोनों ओर खाने पीने की बड़ी बड़ी दुकानें शाम को ही सज जाती हैं।
रहमानी मार्केट के बाहर सड़क पर सैकड़ों वाहन
रहमानी मार्केट के बाहर दोनों ओर फुटपाथ से लेकर सड़क तक दुकानें फैली हुई है, यहां हर समय सैकड़ों की संख्या में खरीदार आते हैं जिनकी बाइकें सड़क के दोनों ओर खड़ी रहती हैं जिससे यहां शाम पांच बजे से रात 10 बजे तक महाजाम की नौबत आती है।
यहां का जाम डॉ. बेरी चौराहा और दूसरी तरफ तलाक महल पहुंच जाता है। इसी प्रकार डॉ. बेरी चौराहा के चारों ओर दुकानें सड़क तक फैली हुई हैं और ई रिक्शा वाले बीच सड़क पर ही सवारी भरते रहते हैं, चाहे जितना कोई हार्न बजाए, ई रिक्शा वाले तब तक नहीं सुनते, जब तक सवारी ई रिक्शे में बैठ नहीं जाए।
क्या बोले क्षेत्रीय लोग
यतीखाना चौराहा से ही ई रिक्शों की अराजकता रहती है, यहां पैदल चलना दूभर है, इनके चालक इतने बदतमीज हैं कि यदि इन्हें कोई टोक दे तो ये लड़ने पर आमादा हो जाते हैं। कहीं फुटपाथ नहीं बचा है।- शरद चंद्र अग्रवाल
दुकानें खाली हैं लेकिन दुकानदारों ने जैसे कसम खा ली है कि सड़क पर ही दुकान लगाएंगे। जिनके पास माल ज्यादा नहीं है तो वह अपना बोर्ड सड़क पर रख देते हैं। इसके अलावा ई रिक्शों की अराजकता से दिभर जाम लगता है।- जागेश्वर प्रसाद केसरवानी
चाहे जाम लगे या घंटों लोग फंसे रहें, यहां ठेलिया दुकानदार किसी भी कीमत पर अपना ठेला नहीं हटाते हैं। यही हाल ई रिक्शा चालकों का है, जो किसी की नहीं सुनते। आधी सड़क घेर कर ई रिक्शे खड़े रहते हैं।- देवानंद
कई साल पहले जब रूपम चौराहा से तलाक महल होते हुए यतीमखाना तक अतिक्रमण अभियान चला था तो सड़क इतनी चौड़ी हो गई थी कि बिना रुके लोग आराम से आवागमन कर रहे थे। अब तो पैदल चलना भी दूभर है।- अनिल साहू
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