भगत सिंह को बहुरुपिया और आरामतलबी बताने पर विवाद...कानपुर लिटरेचर फेस्टिवल में आयोजक को मांगनी पड़ी माफी
महेश शर्मा, कानपुर। कानपुर लिटरेचर फेस्टिवल-2024 में रविवार को शहीद भगत सिंह और साथियों पर चुभने वाली टिप्पणी श्रोताओं को रास नहीं आई। परिचर्चा के दौरान शोर शराबे के बीच लोगों ने तमाम सवाल उठा दिए। मुख्य वक्ता इतिहासकार डॉ.अपर्णा वैदिक और उनका इंटरव्यू करने वाले ईशान शर्मा श्रोताओं के सवालों के प्रहार से असहज दिखे तो मुख्य आयोजक अभिनेता और लेखक अतुल तिवारी को हाथ जोड़कर माफी मांगनी पड़ी। बाद में ईशान और डॉ. अपर्णा ने भी शब्द चयन की गलती स्वीकारी।
परिचर्चा में शहीद भगत सिंह व समकालीन क्रांतिकारियों के विविध रूप के लिए ईशान शर्मा ने पहले ‘दोहरा चरित्र’ बाद में ‘बहुरुपिया’ शब्द प्रयोग किया। इस पर बात बिगड़ी तो उन्होंने विविध आयामी व्यक्तित्व कहकर रोष शांत कराया। उधर, इतिहासकार डॉ.अपर्णा वैदिक ने भगत सिंह व साथियों पर मुकदमे की चर्चा के दौरान भगत सिंह को क्रांतिकारी होने के साथ ही आरामतलबी बताते हुए कह दिया कि वह होटलों के मैनेजरों से सेटिंग करके खाना खाते थे, चार्ली चैपलिन की फिल्में देखते थे, अच्छे कपड़े पहनते थे।
अनशन के दौरान उनका वजन बढ़ गया था। तब चर्चा भी हुई थी कि वह छिपकर कुछ खाते-पीते होंगे। यह सुनते ही श्रोता बिफर पड़े और सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। वरिष्ठ पत्रकार विजय चावला ने इन शब्दों पर कड़ी आपत्ति दर्ज करते हुए कहा कि औपनिवेशिक युग की प्रशंसा और क्रांतिकारियों का योगदान कमतर बताना षड़यंत्र का हिस्सा है। इस पर अतुल तिवारी ने माफी मांगते हुए ठीकरा ईशान शर्मा पर फोड़ दिया। इस सत्र में डॉ. अपर्णा वैदिक अपनी किताब ‘रेवोल्यूशनरी ऑन ट्रायल’ का प्रमोशन ईशान के साथ करती नजर आईं। उनका दावा है कि लाहौर षड़यंत्र केस के बारे में पाकिस्तान जाकर भगत सिंह और साथियों के बारे में तमाम तथ्य अपनी किताब में लिखे हैं।
सेल्युलर जेल में यूपी के क्रांतिकारी का नाम नहीं
एक श्रोता ने सेल्युलर जेल में यूपी के किसी क्रांतिकारी का नाम न अंकित होने की बात कही तो वहां सजा काट चुके क्रांतिकारी गयाप्रसाद कटियार के परिजन क्रांतिकुमार को सामने लाया गया। उन्होंने इसकी पुष्टि की।