इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : अनुकंपा नियुक्ति हेतु मृतक कर्मचारी के संस्थान के प्रबंधक द्वारा उम्मीदवार की सिफारिश  उचित नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला : अनुकंपा नियुक्ति हेतु मृतक कर्मचारी के संस्थान के प्रबंधक द्वारा उम्मीदवार की सिफारिश  उचित नहीं

प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुकंपा नियुक्ति के लिए प्रस्तुत आवेदन पर संस्थान के प्रबंधक द्वारा निर्णय लेने पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश हाई स्कूल और इंटरमीडिएट कॉलेज (शिक्षकों और अन्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान) अधिनियम, 1971 के विनियमों के अनुसार अनुकंपा के आधार पर नियुक्ति के लिए किसी उम्मीदवार का चयन करने की शक्ति उस संस्थान के प्रबंधक को नहीं है, जहां मृतक कर्मचारी सेवारत था।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर की एकल पीठ ने सतीश चंद्र की याचिका को स्वीकार करते हुए पारित किया। हालांकि कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि याची को उस तरह की राहत नहीं दी जा सकती है, जिसके लिए उसने प्रार्थना की है। याची के मामले को अधिनियम के तहत नियमों के अनुसार निर्णित करने के लिए संबंधित डीआईओएस, कासगंज को निर्देश दिया। दरअसल याची के पिता की मृत्यु 2023 में उत्तर प्रदेश राज्य के अंतर्गत एक संस्थान में चपरासी के पद पर कार्य करते हुए हुई। इसके बाद याची ने क्लर्क के पद पर अनुकंपा नियुक्ति के लिए आवेदन किया और 11 मार्च 2024 को कार्यभार ग्रहण भी कर लिया, जब संस्थान के प्रबंधक ने वेतन भुगतान के लिए याची का नाम डीआईओएस के मानव संसाधन पोर्टल पर शामिल करने के लिए कहा तो कोई कार्रवाई नहीं की गई।

इस मामले में डीआईओएस और अलीगढ़ क्षेत्र के संयुक्त शिक्षा निदेशक ने एक-दूसरे से पत्राचार भी किया, लेकिन कार्रवाई में कोई गति नहीं आई। संबंधित प्राधिकारियों की निष्क्रियता से व्यथित होकर याची ने हाईकोर्ट में वर्तमान याचिका दाखिल की। अंत में कोर्ट ने 1921 के अधिनियम के तहत बनाए गए विनियमों के अध्याय III के विनियम 104- 107 की पूरी योजना की व्याख्या करते हुए बताया कि जहां कर्मचारी सेवारत है, उस संस्थान के प्रबंधक को अनुकंपा नियुक्ति के लिए किसी उम्मीदवार की सिफारिश करने हेतु अधिकृत नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने एक अन्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि वर्तमान परिस्थितियों में संस्थान के प्रबंधक को मामले की सूचना सभी आवश्यक विवरण के साथ डीआईओएस को देनी चाहिए थी। नियमों का अनुपालन ना करते हुए की गई नियुक्ति और जारी नियुक्ति पत्र को निरस्त माना जाएगा।

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