UP PCS J Exam 2022 : इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश, अनियमितताओं की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग का होगा गठन

UP PCS J Exam 2022 : इलाहाबाद हाईकोर्ट का निर्देश, अनियमितताओं की जांच के लिए स्वतंत्र आयोग का होगा गठन

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने यूपीपीसीएस- जे (मुख्य) 2022 परीक्षा में गंभीर अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए मामले की जांच के लिए पूर्व मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर को एक स्वतंत्र आयोग का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया है और उपरोक्त आयोग से 31 मई 2025 तक रिपोर्ट दाखिल करने का भी अनुरोध किया है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह और न्यायमूर्ति डोनाडी रमेश की खंडपीठ ने श्रवण पांडेय की याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया, साथ ही मामले को जुलाई 2025 के पहले सप्ताह में उपयुक्त पीठ के समक्ष शीर्ष 10 मामलों में सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। 

मालूम हो कि जुलाई 2024 में उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने पीसीएस-जे (प्रांतीय सिविल सेवा- न्यायिक) 2022 में लिखित परीक्षा के लिए अभ्यर्थियों की मेरिट सूची तैयार करने में त्रुटि स्वीकार की। इसके बाद अंक निर्धारण में विसंगतियों और कदाचार के आरोपों के आधार पर नियुक्ति पत्र जारी करने की मांग लेकर याचियों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याचिकाओं में लगाए गए आरोपों की व्यापकता देखकर कोर्ट ने न्यायिक नियुक्तियों की अखंडता की रक्षा के लिए एक विस्तृत जांच की आवश्यकता महसूस की। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि आयोग की सामान्य प्रथाओं और प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता है, जिससे मानकीकृत और पूर्णतः विश्वसनीय मूल्यांकन प्रक्रिया सुनिश्चित की जा सके। कोर्ट ने उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन की प्रक्रिया में भी सुधार करने पर जोर दिया और वर्तमान में उत्तर पुस्तिकाओं के मूल्यांकन में पाई गई कमियों को भी दर्शाया, जैसे परीक्षकों द्वारा कई उत्तर पुस्तिकाओं में मूल रूप से लिखे गए अंकों में कई सुधार किए गए हैं जो सुधार किए गए हैं, उनके लिए किसी तरह का स्पष्टीकरण नहीं दर्शाया गया है।

परीक्षकों द्वारा कुछ सुधार ओवरराइटिंग के माध्यम से किए गए हैं। कई बार नए दिए गए अंकों पर परीक्षकों द्वारा प्रतिहस्ताक्षर भी नहीं किए गए हैं। इसके अलावा कानून के प्रश्नपत्रों में अभ्यर्थियों के विश्लेषण और तर्क करने की क्षमता , जो एक न्यायाधीश की बुनियादी विशेषताएं हैं, का परीक्षण करने के बजाय सैद्धांतिक ज्ञान का परीक्षण करने पर अधिक जोर दिया गया है । यहां तक कि वर्णनात्मक उत्तरों के लिए शून्य अंक दिए गए हैं।अंत में कोर्ट ने पूर्व मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया कि वह यूपीपीसीएस की लिखित परीक्षा की सभी उत्तर पुस्तिकाओं में मूल्यांकन संबंधी बरती गई उक्त असावधानियों पर विशेष ध्यान दें। इसके अलावा यूपीपीएससी को उसके प्रयागराज के परिसर में उपरोक्त आयोग को पर्याप्त कार्यालय स्थान उपलब्ध कराने का निर्देश दिया गया है।

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