Prayagraj News : भर्ती प्रक्रिया में निर्धारित चिकित्सा बोर्ड द्वारा किए गए मूल्यांकन में हस्तक्षेप से किया इनकार

Prayagraj News :  भर्ती प्रक्रिया में निर्धारित चिकित्सा बोर्ड द्वारा किए गए मूल्यांकन में हस्तक्षेप से किया इनकार

अमृत विचार, प्रयागराज : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भर्ती प्रक्रिया में निर्धारित चिकित्सा बोर्ड द्वारा किए गए मूल्यांकन में केवल पक्षकारों द्वारा प्रस्तुत की गई रिपोर्ट के आधार पर हस्तक्षेप करने से इनकार करते हुए कहा कि जहां भर्ती प्रक्रिया में उम्मीदवारों की चिकित्सा योग्यता का परीक्षण विधिवत गठित मेडिकल बोर्ड द्वारा किया गया है, वहां मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट में सामान्य रूप से बाद में केवल याची द्वारा किसी अन्य चिकित्सक से प्राप्त की गई रिपोर्ट के आधार पर हस्तक्षेप नहीं किया जा सकता है।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति डॉ. योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने शिवांश सिंह की विशेष अपील को खारिज करते हुए पारित किया। दरअसल याची ने भारतीय सेवा में अग्निवीर के पद हेतु आवेदन किया था। लिखित और शारीरिक परीक्षा के बाद याची को वाराणसी में हुई मेडिकल परीक्षा में इस आधार पर अयोग्य घोषित कर दिया गया कि वह ओनिकोमाइकोसिस स्पेसिफाइड राइट इंडेक्स फिंगर की विकलांगता से पीड़ित है। मिलिट्री हॉस्पिटल, प्रयागराज ने भी उसे अयोग्य घोषित कर दिया। इसके बाद विभागाध्यक्ष और सहायक प्रोफेसर, पीजी डिपार्टमेंट ऑफ़ डर्मेटोलॉजी, वेनेरोलॉजी और लैप्रोसी, मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज, प्रयागराज ने याची की बीमारी को गैर-संचारी और इलाज योग्य बताकर एक प्रमाण पत्र जारी किया। उक्त रिपोर्ट के आधार पर याची ने फिर से एक नए मेडिकल बोर्ड के गठन की मांग करते हुए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की। विपक्षियों द्वारा दाखिल हलफनामों और राज्य के निर्देशों के आधार पर एकल न्यायाधीश ने विशेषज्ञों की राय में किसी भी तरह के हस्तक्षेप से इनकार कर दिया।

इस पर याची ने एकल न्यायाधीश के आदेश को वर्तमान अंतर न्यायालय अपील के माध्यम से चुनौती दी, जिस पर कोर्ट ने इसी न्यायालय के एक अन्य मामले का हवाला देते हुए कहा कि ऐसे मामलों में, जहां चिकित्सा विशेषज्ञों की राय सवालों के घेरे में हो, संविधान के अनुच्छेद 226 की शक्तियों का प्रयोग बहुत ही सीमित होता है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि प्रासंगिक भर्ती नियमों में चिकित्सा मूल्यांकन के लिए निर्धारित प्रक्रिया में हस्तक्षेप करने से भर्ती प्रक्रिया बाधित हो सकती है। अंत में कोर्ट ने माना कि याची द्वारा बाद में प्रस्तुत की गई चिकित्सा रिपोर्ट के आधार पर भर्ती नियमों के अनुसार स्थापित चिकित्सा बोर्ड की राय को रद्द नहीं किया जा सकता है।

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