Kanpur: शताब्दी नगर में बहुमंजिला इमारतों के सीवर चोक, नालियों में भरा गंदा पानी, ट्रांसफार्मरों में जमे पेड़, रात में लोगों को निकलने में लगता है डर

Kanpur: शताब्दी नगर में बहुमंजिला इमारतों के सीवर चोक, नालियों में भरा गंदा पानी, ट्रांसफार्मरों में जमे पेड़, रात में लोगों को निकलने में लगता है डर

कानपुर, अमृत विचार। पनकी-शताब्दी नगर में केडीए की बहुमंजिला इमारतों में भले ही 60 फीसदी से ज्यादा फ्लैट खाली हों लेकिन कई योजनाओं में सीवर चैंबर चोक होने लगे हैं। रामगंगा इन्क्लेव के 2 बीएचके फ्लैट्स में यह समस्या आ रही है। लोगों को खुद ही चैंबर की सफाई करानी पड़ रही है। 

जबसे यहां यहां लोग रहने आये तभी से नालियों की सफाई नहीं हुई है। मुख्य नालियां और नाले गंदगी से बजबजा रही हैं। सबसे बड़ी समस्या कूड़ा उठान की है। केडीए की ओर से नगर निगम को पूरी तरह से क्षेत्र हैंड ओवर न करने की वजह से न ही झाड़ू लगती है और न ही कूड़ा उठाने कोई आ रहा है। इससे लोग सड़क पर कूड़ा डंप कर रहे हैं।

केडीए ने 16 अलग-अगल योजनाओं में कुल 11176 (1,2,3 बीएचके) फ्लैट बनाये हैं। जिसमें से 7292 फ्लैट खाली हैं। रामगंगा, केडीए हाईट्स,  हिमालय सुलभ-1, रामगंगा इन्क्लेव टाइप-2, टाइप 1, हिमगिरी, नीलगिरी, सरस्वती, गंगा में लोग रह रहे हैं। रामगंगा इन्क्लेव में जो लोग रहने लगे हैं उन्हें तमाम समस्याओं से जूझना पड़ रहा है। यहां कूड़े के पहाड़ एकत्र हैं। गलियों में तो कूड़ा फेंका ही जा रहा है, खाली पड़े स्थानों को लोग कूड़ा डंप बनाते जा रहे हैं। 

रामगंगा में रहने वाली राजरानी ने बताया कि सीवर चैंबर भर जा रहा है। पता नहीं आगे पानी क्यों नहीं जा रहा। प्राइवेट कर्मचारी को बुलाकर सफाई कराई है। रामगंगा 2 बीएचके में कई जगह यह समस्या है। यहां एक आवंटी ने बताया कि एक दिन फॉल्ट हुआ था, केबिल बॉक्स से लाइन को ठीक कराना था, कई कंपलेन कीं लेकिन कोई नहीं आया इसके बाद परेशान होकर बाहर से लाइन को जुड़वाना पड़ा है। 

केस्को ट्रांसफार्मर लगाने के बाद भूल गया

शताब्दी नगर में केस्को ने बिजली कनेक्शन के लिए ट्रांसफार्मर लगाया है। यहां ट्रांसफार्मर के आस-पास पेड़ व झाड़ियां उग आई हैं। अगर यहां चिंगारी उठी तो आग भी लगने की आशंका बनी हुई है। पूरे एरिया में जहां भी ट्रांसफार्मर लगे हैं, ऐसी ही स्थिति है। 

अंधेरा होते ही घरों में दुबक जाते स्थानीय

कई बहुमंजिला इमारतें खंडहर की तरह खड़ी हैं। स्थानीय लोगों के अनुसार रात होते ही यहां रहने वाले लोग घरों में दुबक जाते हैं। देर रात तो लोग घर वापस आने के लिये कई बार सोचते हैं। नाते-रिश्तेदार तो आते ही नहीं हैं।

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