बदायूं: पूर्व विधायक योगेंद्र सागर सहित दस आरोपी हुए दोषमुक्त

बारह आरोपी गण के विरुद्ध पुलिस ने दाखिल किया था आरोप पत्र 

बदायूं: पूर्व विधायक योगेंद्र सागर सहित दस आरोपी हुए दोषमुक्त

बदायूं, अमृत विचार। नौ साल पहले बलवा करने, सरकारी कार्य में रुकावट डालकर मारपीट करने के आरोप में पूर्व विधायक योगेंद्र सागर, राजू सागर, शेखर सागर, अबरार, हैदर अली, भूरा, कृष्ण पाल सिंह, बृजमोहन, नेम सिंह और रामौतार को अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट लीलू ने दोष मुक्त कर दिया। वहीं एक आरोपी इब्ले हसन की विचारण के दौरान मौत हो और एक आरोपी भगवान दास उर्फ कालिया की जमानत के बाद से न्यायालय न आने की वजह से उसकी पत्रावली पृथक कर दी गई।

तत्कालीन बिल्सी थाना प्रभारी निरीक्षक ब्रजेश कुमार यादव ने रिपोर्ट दर्ज कराते हुए बताया कि 2 नवंबर 2015 को वह और उपनिरीक्षक बालिस्टर त्यागी, उपनिरीक्षक नरेंद्र कुमार सिंह व अन्य पुलिस कर्मचारियों के साथ सरकारी जीप से त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव की मतगणना ड्यूटी में बिल्सी मंडी के मुख्य द्वार पर मौजूद थे। मतगणना का अंतिम परिणाम जिला पंचायत सदस्य वार्ड 28 बेहटा गोसाई का घोषित होना शेष था। जिसमें प्रत्याशी कुमारी नेहा सिंह के समर्थकों द्वारा निर्वाचन अधिकारी को दोबारा मतगणना कराने की लिए प्रार्थना पत्र दिया था। जिसके आदेश करने के लिए चुनाव प्रेक्षक को भेजा गया था। इसी के विरोध में एक अन्य प्रत्याशी पूर्व विधायक योगेंद्र सागर की पत्नी प्रीति सागर अपने साथ राजू सागर, शेखर सागर अवरार, हैदर अली, इब्ले हसन, भूरा, कृष्ण पाल सिंह सहित 250 से ज्यादा व्यक्तियों के साथ मतगणना स्थल के अंदर घुसने की कोशिश करने लगे। जब प्रभारी निरीक्षक ने अंदर जाने को मना किया और रोका। इसी बात पर वह लोग नारे लगाते हुए ईट, पत्थर फेंकने लगे। जिससे कुछ पत्थर उपनिरीक्षक बालिस्टर त्यागी व सिपाही विमलेश की लगे। जिससे वह दोनों चोटिल हो गए। पत्थर लगने से जीप भी क्षतिग्रस्त हो गई। प्रभारी निरीक्षक ने पुलिस बल बुला लिया। बाद में इन सभी के द्वारा बिल्सी कछला मार्ग पर जाम लगाकर रोड बंद कर दिया गया। जिससे आवागमन ठप हो गया था। लोक व्यवस्था भंग हो गई। तब पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करके विवेचना शुरू कर सभी साक्ष्यों को संकलन करके पूर्व विधायक और अन्य व्यक्तियों के खिलाफ कोर्ट में आरोप पत्र दाखिल किया। तब से मामला न्यायालय में विचाराधीन था। न्यायाधीश ने पत्रावली पर उपलब्ध साक्ष्यों का अवलोकन करके अभियोजन पक्ष की बहस ओर बचाव पक्ष के अधिवक्ताओं की बहस सुनकर पाया कि अभियोजन द्वारा प्रस्तुत साक्ष्य विरोधाभास से पूर्ण है और अभियोजन मामले को संदेह से परे साबित करने में पूर्ण रूप से असफल रहा। अभियुक्त गण को धारा 147, 148, 332, 353, 427 भारतीय दंड संहिता व धारा 7 आपराधिक विधि संशोधन अधिनिमय के अंतर्गत दंडनीय अपराध के आरोपों से दोष मुक्त किया जाता है।

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