Prayagraj News : सैन्यकर्मियों के परिवारों की सुरक्षा के लिए एक कल्याणकारी तंत्र विकसित करने का निर्देश
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सैन्य सेवा की अनिवार्यताओं के कारण सैन्यकर्मियों के अलग रह रहे परिवारों की सुरक्षा और कल्याण के लिए तत्काल शिकायत निवारण तंत्र की आवश्यकता को महसूस करते हुए कहा कि सशस्त्र बल देश की संप्रभुता और अखंडता के संरक्षक हैं। सेवारत सैन्यकर्मियों के परिवारों का कल्याण सर्वाधिक महत्वपूर्ण है। कोर्ट ने इस बात पर जोर दिया कि सैन्य सेवा की अनिवार्यताओं के कारण सैन्य कर्मियों के परिवार अक्सर अलग हो जाते हैं और कृतज्ञ राष्ट्र का यह गंभीर दायित्व है कि वह ऐसे परिवार के सदस्यों को पूरी सुरक्षा प्रदान करे।
सेवारत रक्षाकर्मियों के पारिवारिक सदस्यों के उत्पीड़न और अन्य समस्याओं के संबंध में सैन्यकर्मियों द्वारा भेजे गए किसी भी पत्र पर सक्षम राज्य प्राधिकारियों द्वारा तुरंत संज्ञान लिया जाए और इसका प्रभावी ढंग से निवारण सुनिश्चित किया जाए। राज्य सरकार द्वारा ऐसे मामलों की जवाबदेही तय होनी चाहिए और उन अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्यवाही की जानी चाहिए जो देश के विभिन्न भागों में सेवारत सैन्यकर्मियों के पारिवारिक सदस्यों की दुर्दशा के प्रति उदासीन हैं तथा उनकी शिकायतों के निवारण में लापरवाही बरतते हैं। उक्त आदेश न्यायमूर्ति अजय भनोट की एकलपीठ ने शीतल चौधरी द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
दरअसल याची एक संवेदनशील सीमा क्षेत्र में तैनात सैन्यकर्मी की पत्नी हैं, जिन्हें एक व्यक्ति द्वारा उत्पीड़ित किया जा रहा है। उनके पति द्वारा फिरोजाबाद के जिला कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक सहित स्थानीय अधिकारियों से कार्यवाही की मांग करने के बावजूद मामले में कोई कार्यवाही नहीं की गई। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि संबंधित अधिकारी उनकी शिकायत पर ध्यान नहीं दे रहे हैं, जिससे उनके पति की राष्ट्र के प्रति अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
कोर्ट द्वारा दिए गए निर्देश पर राज्य सरकार ने कहा कि वह देश की अग्रिम पंक्ति में तैनात सेवारत रक्षाकर्मियों को सर्वोच्च सम्मान देती है और कोर्ट द्वारा सुझाए गए निर्देशों को साकार रूप देने के लिए तैयार है। इस पर कोर्ट ने राज्य सरकार को शिकायत निवारण तंत्र विकसित करने के लिए कुछ सुझाव दिए, जिनमें मुख्य रूप से सेवारत वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों के सुझावों के साथ एक कल्याणकारी शिकायत निवारण तंत्र की योजना विकसित करने के लिए कहा गया, जिसे समय-समय पर तीनों सेनाओं के उच्च अधिकारियों के सुझावों द्वारा विकसित किया जा सके। मामले की अगली सुनवाई 20 दिसंबर यानी शुक्रवार को होगी।
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