हल्द्वानी: दुष्कर्म की कोशिश करने वाले उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के मैनेजर पर मुकदमा
हल्द्वानी, अमृत विचार। चोरगलिया थाना क्षेत्र के गौलापार में घर में घुस कर दुष्कर्म की कोशिश करने और पीड़िता के पति को जान देने के लिए मजबूर करने वाले उत्तराखंड ग्रामीण बैंक के मैनेजर के खिलाफ पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया है। वहीं पुलिस ने महिला के उन आरोपों को सिरे से नकार दिया है, जिसमें महिला ने कहा था कि चोरगलिया थाने में शिकायत करने गये उनके पति को पुलिस ने दुत्कार कर भगा दिया था।
पुलिस को दी तहरीर में गौलापार निवासी महिला ने लिखा कि उत्तराखंड ग्रामीण बैंक में उनका खाता है। जिस कारण उनका बैंक में आना-जाना रहता है। आरोप है कि जब वह बैंक जातीं तो शाखा प्रबन्धक रोहित टम्टा उन्हें घूरता था। एक माह पहले रोहित ने बैंक शाखा से पीड़िता का मोबाइल नंबर लिया और समूह के बहाने से फोन किया। फिर मैसेज पर पूछने लगा कि पति कहां है। पीड़िता ने मैसेज करने से रोका तो रोहित दूसरा नंबर मांगने लगा।
यह बात पीड़िता ने पति को बता दी। पति ने फोन कर रोहित को ऐसा करने से रोका तो वह जाने से मारने की धमकी देते हुए अनुसुचित जाति के केस में फंसाने की धमकी देने लगा। इसी दिन से पीड़िता के पति अवसाद में रहने लगे और कहने लगे कि मैं अपनी पत्नी को छेड़ने वाले से भी नहीं बचा पाया।
मेरा जीना बेकार है। इसके बाद भी रोहित ने पीड़िता का पीछा करना नही छोड़ा। तीन अक्टूबर की शाम रोहित पीड़िता के घर में घुस गया और जबरदस्ती करने लगा। पीड़िता के शोर मचाने पर रोहित भाग गया। पीड़िता ने पति को यह बात बताई तो वह दंग रह गए और अगले दिन जहर खाकर जान दे दी। चोरगलिया थानाध्यक्ष राजेश कुमार जोशी ने बताया कि पीड़िता की तहरीर के आधार पर आरोपी रोहित टम्टा के खिलाफ बीएनएस की धारा 108, 333, 351(3), 77, 78 के तहत मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।
पीड़िता के पति कभी नहीं आये शिकायत करने
मामले में पीड़िता ने चोरगलिया पुलिस पर गंभीर आरोप लगाए थे। उसका कहना था कि जब उसके पति शिकायत लेकर थाने गए तो पुलिस ने उन्हें दुत्कार कर भगा दिया। जिससे आहत होकर उन्होंने आत्महत्या कर ली। मामले में चोरगलिया थानाध्यक्ष राजेश कुमार जोशी ने बताया कि पीड़िता ने चार अक्टूबर को पति के थाने आने की बात कही थी। उस दिन वह क्राइम मीटिंग में थे, लेकिन थाने पहुंचने के बाद उन्होंने चार तारीख के सीसीटीवी फुटेज चेक कराए। जिससे साफ है कि उनके पति थाने आये ही नहीं। मामले में जांच के लिए महिला जांच अधिकारी दो बार पीड़िता के बयान लेने भी गईं, लेकिन उन्होंने बयान नहीं दिए।
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