प्रयागराज: विचाराधीन कैदियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी- इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज: विचाराधीन कैदियों को चिकित्सा सुविधा प्रदान करना राज्य की जिम्मेदारी- इलाहाबाद हाईकोर्ट

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने विचाराधीन कैदियों को चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के संबंध में अपने महत्वपूर्ण आदेश में कहा कि बीमारी के दौरान विचाराधीन कैदी को देखभाल और चिकित्सा सुविधा प्रदान करना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है, जिससे वह बच नहीं सकता। 

उक्त आदेश न्यायमूर्ति समित गोपाल की एकलपीठ ने राज्य प्राधिकारियों द्वारा एक विचाराधीन कैदी कयामुद्दीन को शल्य चिकित्सा प्रदान करने से इनकार करने पर आपत्ति जताते हुए पारित किया। कोर्ट ने जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक, देवरिया को इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हलफनामा दाखिल कर यह बताने का निर्देश दिया है कि उन्होंने याची की सर्जरी के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने से इंकार क्यों किया। 

प्राधिकारियों से इस विषय में भी जानकारी मांगी गई है कि किन परिस्थितियों में उन्होंने याची को सर्जरी के लिए जाने से मना किया तथा इसके लिए कौन जिम्मेदार है। याची के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि याची जेल में अस्वस्थ है, इसलिए 16 अप्रैल 2024 के उसके आवेदन पर अपर सत्र न्यायाधीश, देवरिया ने निर्देश दिया कि उसे उचित चिकित्सा उपलब्ध कराई जाए। हालांकि जेल अधीक्षक ने लोकसभा चुनाव की आचार संहिता का हवाला देते हुए उसे इलाज मुहैया कराने से इनकार कर दिया। इसके साथ ही उन्होंने यह कहा कि आचार संहिता हटने के बाद अभियुक्त का उचित उपचार कराया जाएगा।

ये भी पढ़ें- प्रयागराज: मां के प्रति कर्तव्य निर्वहन का इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दिया निर्देश