कासगंज: भूरा फुदका पहुंचा रहा धान की फसल को नुकसान, प्रतिदिन करें सतत निगरानी
कीट के प्रकोप से खेत में खड़ी फसल जलने की कगार पर
कासगंज,अमृत विचार। खेत में खड़ी धान की फसल में भूरा फुदका और ब्राउन प्लांट हॉपर रोग पैर पसार रहा है। कीट के जड़ में बैठने से पल भर में धान की फसल खेत में सूखकर नष्ट हो रही है, जिससे किसानों को काफी नुकसान पहुंच रहा है। कृषि वैज्ञानिको ने रसायनों का स्प्रे कर फसल को नुकसान से बचाने की अपील किसानों से की है।
जिले में 17 हजार हेक्टेयर में धान की फसल उगाई गई है। अगैती फसल कटकर मंडी में आ रही है। वर्तमान समय में धान की फसल में भूरा फुदका और ब्राउन प्लांट हॉपर कीट का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। शिशु व प्रौढ़ कीट धान के तने के ऊपर रहकर रस चूसते रहते हैं। तने का रस चूसकर पौधे को सुखाकर फसल को नष्ट कर देते हैं। इस रोग की पहचान में खेत में खड़े धान के पौधों को हिलाकर कर लेनी चाहिए। जिला कृषि अधिकारी डाॉ अवधेश मिश्र ने किसानों को जानकारी देते हुए बताया कि इस समय इस कीट की संख्या आर्थिक क्षति स्तर से ऊपर पहुंच गयी है। यह कीट धान की फसल की इस अवस्था में बहुत अधिक नुकसान पंहुचा सकता है। इस कीट के अधिक प्रकोप की दशा में 72 घंटे के अंदर फसल कों भारी क्षति हो सकती है। इस कीट कों भूरा फुदका या ब्राउन प्लांट हॉपर कहते है। यह कीट उपयुक्त दशा मे अपनी संख्या में बहुत तेजी से वृद्धि कर धान के पौधों के रस को जमीन की सतह से चूस कर एकदम से सुखा देता है, ऐसा लगता है कि जैसे पौधे जल गए हैं। इस कीट का प्रकोप पैचेज पॉकेट मे होता और इसका प्रकोप बाहर की तरफ बढ़ता जाता है।अतः सभी किसान भाइयो को सूचित किया जाता है कि धान की अगेती प्रजाति की कटिंग शुरू हो चुकी है, लेकिन अभी खेतों में जो धान की खड़ी है, उनमें एक कीट दिखाई दे रहा है, जिसका रंग भूरा व आकार छोटे मच्छर की तरह होता है। यह कीट धान की जड़ में ज़मीन के पास रहता है। जब धान के पौधे को जड़ तक फैला कर देखते है तो यह कीट उड़ता हुआ दिखाई देगा और पौधों की जड़ों में चिपचिपा द्रव जैसा लगा होगा, ये कीट धान के पौधों का रस चूस लेता है और खेत के बीच में रिग की तरह गोल-गोल जला सा दिखाई देता है।
वर्जन
जिला कृषि अधिकारी डॉ. अवधेश मिश्रा ने बताया कि इस कीट का प्रकोप बाली निकलने के बाद से फसल कटाई तक हो सकता है, यदि इस कीट का प्रकोप धान की फसल में दिखाई देता है तो बिप्रोफेंजीन 25 प्रतिशत ईसी 250 एमएल एकड़ अथवा थायोमेथाक्जाम 25 प्रतिशत डब्लू जी की 100 ग्राम, एकड़ में दवा को 200-250 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।