दूरदर्शन ने टेलीविजन तकनीक से कराया रूबरू, भाषा विश्वविद्यालय में मनाया दूरदर्शन डे 

दूरदर्शन ने टेलीविजन तकनीक से कराया रूबरू, भाषा विश्वविद्यालय में मनाया दूरदर्शन डे 

लखनऊ, अमृत विचारः ख़्वाजा मुईनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय में दूरदर्शन दिवस पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। भारत में हर साल 15 सितम्बर को दूरदर्शन दिवस मनाया जाता है। विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में दूरदर्शन डे का आयोजन विभाग में कुलपति प्रो. नरेन्द्र बहादुर सिंह ने हाईब्रिड मोड के माध्यम से किया। 

कार्यक्रम का शुभारम्भ डॉ. काजिम रिजवी ने किया। उन्होंने कहा कि दूरदर्शन मनोरंजन, शैक्षिक, सूचनाओं का संसाधन हुआ करता था। कार्यक्रम में संगोष्ठी की समन्वयक विषय प्रभारी डॉ. रूचिता सुजॉय चौधरी ने कहा कि दूरदर्शन लोगों को सत्यम शिवम् सुंदरम के माध्यम से सीधे संवाद करता रहा है। दूरदर्शन अपनी खास विशेषतों से आम जनता का माध्यम माध्यम रहा है। 

विद्यार्थियों को सम्बोधित करते हुए प्रो. संजीव भानावत ने कहा कि दूरदर्शन भारत में 15 सितंबर को शुरू हुआ। जिसके माध्यम से जन जीवन टेलीविजन तकनीक से रूबरू हुई। दुरदर्शन ने चित्रहार और रंगोली आदि कार्यक्रमों से लोग मनोरंजन किया करते थे। दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाली फिल्में अखबारों की सुर्खियां हुआ करती थीं। प्रो. भानावत ने कहा कि दूरदर्शन लोक प्रसारण का सशक्त माध्यम था। जनता दूरदर्शन के माध्यम से सरकारी कार्यक्रम और योजनाओं से लाभान्वित होती थी। तत्कालीन समय में घरेलू महिलाएं में भी प्रचलित माध्यम था। 1982 में रंगीन माध्यम से प्रसारण हुआ। कुल मिलाकर यह सरकारी प्रसारण माध्यम था। 

दूरदर्शन के माध्यम से सरकार अपनी बात सीधे दूरदर्शन के माध्यम से मन की बात नामक कार्यक्रम से कर रही है। दूरदर्शन हास्य और विनोद का जनमाध्यम था। उस वक्त बच्चे, किशोर, युवा, किसान, महिलाएं, वृद्ध, गीत और संगीत के माध्यम से जनता से सीधा संवाद किया। दूरदर्शन संगोष्ठी को विभाग के अध्यक्षता प्रो. चन्दना डे ने कहा कि हमें टीवी और दूरदर्शन माध्यम को याद करते हुए कहा कि हमारे समय में भी दूरदर्शन लोकप्रिय जन्माध्यम हुआ करता था। दूरदर्शन संगोष्ठी का धन्यवाद ज्ञापन डॉ. शचींद्र शेखर ने प्रो. संजीव भानावत का कार्यक्रम से जुड़ने के लिए आभार व्यक्त किया। डॉ. शेखर ने कहा कि दूरदर्शन टीवी के पर्दे से आज मोबाइल के माध्यम से पॉकेट में आ गया है। आज एक क्लिक के माध्यम से दूरदर्शन से आसानी से जुड़ा जा सकता है। जिसके लिए केवल एक एप में माध्यम से हम सीधे लाभ ले सकते हैं। संगोष्ठी के दौरान विभाग के शिक्षक डॉ. मो. नसीब, चितवन मिश्रा सहित सभी शोधार्थी और विद्यार्थी उपस्थित रहे।

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