हाईकोर्ट ने सरकार से मांगा जवाब, कहा- प्रयागराज में एम्स स्थापित करना क्यों जरूरी नहीं?
प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में एम्स स्थापित करने की योजना पर राज्य सरकार से पूछा कि प्रयागराज में एम्स स्थापित करना क्यों जरूरी नहीं है।
दरअसल कोर्ट ने पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार के अपर सॉलिसिटर जनरल से प्रयागराज में एम्स की स्थापना के बारे में वास्तविक वस्तुस्थिति की जानकारी मांगी थी। गुरुवार को हुई सुनवाई के दौरान उन्होंने इस विषय में केंद्र सरकार के रुख को लेकर हलफनामा दाखिल करने के लिए समय की मांग की, जिस पर कोर्ट ने मामले की सुनवाई आगामी 17 अक्टूबर को सुनिश्चित कर दी। यह आदेश न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता और न्यायमूर्ति मनीष कुमार निगम की खंडपीठ ने सहज सारथी फाउंडेशन व अन्य की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया।
याचिका में बताया गया है कि पिछले 10 वर्षों में पूर्वांचल में केवल एक एम्स की स्थापना हुई है। प्रदेश की आबादी में तेजी से वृद्धि हुई। ऐसे में प्रयागराज में एम्स जैसी संस्था की स्थापना किया जाना जरूरी है। प्रयागराज का सड़क- रेल मार्ग बहुत विकसित है। अतः यहां उच्च सुविधायुक्त अस्पताल होना चाहिए। अपर सॉलिसिटर जनरल ने भारत सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय से प्राप्त लिखित निर्देशों को रिकॉर्ड पर रखा, जिसके अनुसार भारत के वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2014-15 के लिए बजट पेश करते समय आंध्र प्रदेश, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल में चार नए एम्स स्थापित करने की घोषणा की थी और बजट सत्र 2015-16 में जम्मू-कश्मीर, पंजाब, तमिलनाडु, हिमाचल प्रदेश, असम और बिहार में 7 नए एम्स स्थापित करने का प्रस्ताव रखा गया था।
इसी के साथ बजट सत्र 2017-18 में गुजरात और झारखंड में दो नए एम्स की घोषणा की गई थी। अंतरिम बजट 2019-20 के अनुसार हरियाणा में नए एम्स की घोषणा की गई थी, साथ ही संबंधित राज्य सरकारों से यह भी अनुरोध किया गया था कि वह अपने राज्य में नए एम्स की स्थापना के लिए उपयुक्त वैकल्पिक स्थान की पहचान करें। वर्ष 2014-15 में उत्तर प्रदेश सरकार ने पूर्वांचल के गोरखपुर में एम्स की स्थापना के लिए सिफारिश की थी।
इसके अलावा अपर सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को बताया कि वर्ष 2014-15 के बाद से केंद्र सरकार ने उत्तर प्रदेश में नए एम्स की स्थापना के लिए कोई निर्णय नहीं लिया है। पिछले 10 वर्षों में प्रयागराज की जनसंख्या में काफी वृद्धि हुई है, जिसके परिणामस्वरुप मौजूदा चिकित्सीय बुनियादी ढांचे पर भारी दबाव पड़ रहा है, इसलिए कोर्ट ने अपने पिछले आदेश में संबंधित अधिकारियों को एम्स की स्थापना की आवश्यकता को लेकर निष्पक्ष रूप से जांच करने के निर्देश दिए थे, लेकिन अभी तक इस संबंध में कोई आकलन नहीं किया गया है।
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