लखनऊ: SGPGI के विशेषज्ञ बोले- विचारों से बनती और बिगड़ती है सेहत, इलाज में धैर्य भी है महत्वपूर्ण
सही समय पर रिहैबिलिटेशन शुरू होने से ठीक हो सकती है यह बीमारी
लखनऊ, अमृत विचार। 5 सितंबर को दुनिया भर में स्पाइनल कॉर्ड इंजरी डे मनाया जाता है, विशेषज्ञ बताते हैं कि इस दिन को मनाने का मुख्य कारण इस बीमारी से लोगों को बचाना है और यह तभी संभव है जब उन्हें जागरूक किया जाए। यह कहना है एसजीपीजीआई स्थित पीएमआर विभाग के प्रमुख डॉक्टर सिद्धार्थ राय का।
उन्होंने बताया कि बड़ी संख्या में लोग स्पाइनल कार्ड से संबंधित बीमारियों की चपेट में है। ऐसे में फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग की तरफ से एपेक्स ट्रॉमा सेंटर में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में 60 से ज्यादा मरीजों और उनके परिजनों ने हिस्सा लिया। जागरूकता कार्यक्रम का उद्घाटन एपेक्स ट्रॉमा सेंटर के प्रभारी एवं प्रमुख डॉक्टर एके श्रीवास्तव एवं एसजीपीजीआई अस्पताल प्रशासन विभाग के प्रमुख डॉक्टर राजेश हर्षवर्धन ने किया।
डॉक्टर सिद्धार्थ राय ने बताया कि पुनर्वास चिकित्सा शीघ्र शुरू करने से मरीज में गुणवत्ता पूर्ण सुधार होता है। न्यूरोप्लास्टीसिटी, ब्रेन और नर्व में ऐसी व्यवस्था है जिसमे वह नए एक्सपीरियंस, माहौल और सीखने में स्वयं को काफी बदल लेने या दिए गए वातावरण के अनुरूप धारण करने की बहुत क्षमता होती है, जिससे की शीघ्र चिकित्सा शुरू करने से मरीज में सुधार ज्यादा होता है।
उदाहरण के तौर पर उन्होंने बताया कि न्यूरोप्लास्टीसिटी का अर्थ होता है कि पर्यावरण और माहौल के प्रभाव के जवाब में मस्तिष्क बदलाव करने की क्षमता रखता है। जैसे एक बच्चा जब धीरे-धीरे बड़ा होता है तो वह चलना सिखाता है। इस दौरान वह कई बार गिरता है लेकिन अंतत: वह चलना सीख जाता है और फिर कभी नहीं गिरता। यही तरीका स्पाइनल कॉर्ड इंजरी से संबंधित बीमारी के इलाज में भी कारगर होता है।
डॉक्टर एके श्रीवास्तव ने बताया पीजीआई में पीएमआर विभाग का कार्य बहुत सराहनीय है और ट्रीटमेंट की संपूर्ण प्रशिक्षित टीम भी है। उन्होंने धैर्य के साथ इलाज कराने की सलाह दी।
पीएमआर के डा. अंजना ने स्पाइनल कॉर्ड इंजरी की प्रमुख समस्या पेशाब में आने वाली दिक्कतों को मैनेज करने की जानकारी दी। डा. मधुकर दीक्षित ने सांस एवं फेफड़ों को सुचारू एवं क्षमतावान रखने की विधि बताई और चिकित्सा के विभिन्न प्रकार का लाइव प्रदर्शन किया। डा अंजली ने एक्यूपेशनल थेरेपी से दैनिक दिनचर्या को आसान बनाने की विधा बताई। पीएंडओ विरेन्द्र ने स्पाइनल कॉर्ड इंजरी में ऑर्थोसिस की भूमिका की जानकारी दी।
फिजियोथैरेपिस्ट डॉ ब्रजेश त्रिपाठी ने शरीर के 3डी मॉडल की अवधारणा , जिसमे बॉडी माइंड सोल और स्प्रिचुअलिटी और उनके आपस में पड़ने वाले प्रभाव के बारे में बताते हुए विचारो की शुद्धि और सकारात्मकता रखने की बात कही। उन्होंने कहा कि कई मामलों में देखा गया है कि जैसा व्यक्ति का विचार होता है उसकी सेहत भी वैसी ही होने लगती है। कार्यक्रम में डा. स्निग्धा, डा. तेजस्विनी, डा. शाहबाज , डा. पारुल, डा. कमल, डा. अंकिता ने भी अपने विचार साझा किए हैं।
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