केजरीवाल ने इस्तीफा देने की घोषणा की, भाजपा ने बताया 'पीआर हथकंडा'
नई दिल्ली। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने रविवार को कहा कि वह दो दिन बाद अपने पद से इस्तीफा दे देंगे और दिल्ली में समय पूर्व चुनाव कराने की मांग करेंगे। केजरीवाल ने कहा कि जब तक लोग उन्हें ‘‘ईमानदारी का प्रमाणपत्र’’ नहीं दे देते, तब तक वह मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठेंगे। भाजपा ने केजरीवाल पर पलटवार करते हुए उनके इस कदम को “चर्चा में रहने का हथकंडा” और “नाटक” करार दिया।
आबकारी नीति से जुड़े कथित भ्रष्टाचार मामले में शुक्रवार को तिहाड़ जेल से जमानत पर रिहा हुए केजरीवाल ने कहा कि अगले कुछ दिन में आम आदमी पार्टी (आप) के विधायकों की बैठक होगी और पार्टी के एक नेता को मुख्यमंत्री चुना जाएगा। कार्यकर्ताओं को संबोधित करने के लिए पत्नी सुनीता के साथ पार्टी मुख्यालय पहुंचे केजरीवाल ने कहा कि वह मुख्यमंत्री और मनीष सिसोदिया उपमुख्यमंत्री तभी बनेंगे, “जब लोग कहेंगे कि हम ईमानदार हैं।”
सिसोदिया को आबकारी नीति मामले में पिछले महीने जमानत मिली थी। केजरीवाल की अप्रत्याशित घोषणा के बाद, उनकी जगह लेने वाले संभावित व्यक्तियों में उनकी पत्नी सुनीता और दिल्ली के मंत्रियों आतिशी व गोपाल राय के नाम चर्चा में हैं। केजरीवाल ने कहा, “मैं दो दिन बाद इस्तीफा दे दूंगा और लोगों से पूछूंगा कि क्या मैं ईमानदार हूं? जब तक वे जवाब नहीं देते, मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठूंगा।”
उन्होंने कहा, “दिल्ली में फरवरी में चुनाव होने हैं, लेकिन मेरी मांग है कि राष्ट्रीय राजधानी में चुनाव महाराष्ट्र के साथ नवंबर में कराए जाएं... मैं मुख्यमंत्री की कुर्सी पर तभी बैठूंगा, जब लोग मुझे ईमानदारी का प्रमाणपत्र देंगे। मैं जेल से बाहर आने के बाद अग्निपरीक्षा देना चाहता हूं।” केजरीवाल ने आरोप लगाया कि भाजपा ने उन्हें भ्रष्ट साबित करने की कोशिश की है। उन्होंने दावा किया कि भगवा पार्टी लोगों को अच्छे स्कूल और मुफ्त बिजली मुहैया नहीं करा सकी क्योंकि वे भ्रष्ट हैं। उन्होंने कहा, “हम ईमानदार हैं।”
दिल्ली के मुख्यमंत्री ने कहा, “वे गैर-भाजपा मुख्यमंत्रियों के खिलाफ झूठे मामले दर्ज करते हैं। अगर मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार किया जाता है, तो मैं उनसे आग्रह करता हूं कि वे इस्तीफा न दें, बल्कि जेल से ही अपनी सरकार चलाएं।” केजरीवाल ने कहा, ‘‘मैंने (आबकारी नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद) इस्तीफा नहीं दिया क्योंकि मैं लोकतंत्र का सम्मान करता हूं और मेरे लिए संविधान सर्वोपरि है।’’
केजरीवाल के इस्तीफे की घोषणा को लेकर उनकी आलोचना करते हुए भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने कहा,“आप के राष्ट्रीय संयोजक की घोषणा उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल को मुख्यमंत्री बनाने की योजना का एक हिस्सा है... अरविंद केजरीवाल ने आपदा में अवसर तलाशने में पीएचडी की है।” पूनावाला ने केजरीवाल के इस कदम को "पीआर एक्सरसाइज (चर्चा में रहने का हथकंडा) और ड्रामा (नाटक)" करार दिया।
उन्होंने कहा, "वह इस्तीफे का नाटक इसलिए कर रहे हैं, क्योंकि अदालत ने उन्हें (आबकारी नीति ‘घोटाला’) मामले में बरी नहीं किया, बल्कि उन्हें सशर्त जमानत दी है, जिससे वह मुख्यमंत्री से नाममात्र के मंत्री बन गए हैं।" आप कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए केजरीवाल ने 2014 में सत्ता संभालने के महज 49 दिन बाद जन लोकपाल विधेयक को लेकर मुख्यमंत्री पद छोड़ने का जिक्र किया और कहा, "मैंने तब अपने आदर्शों के लिए इस्तीफा दे दिया था। मुझे सत्ता की लालसा नहीं है।"
मुख्यमंत्री ने दावा किया कि आबकारी नीति का मामला लंबे समय तक चलेगा और वह दिल्ली की जनता से पूछना चाहते हैं कि वह ईमानदार हैं या दोषी। उन्होंने लोगों से कहा कि अगर वे उन्हें ईमानदार मानते हैं तो ही उनके पक्ष में वोट करें।
उन्होंने कहा, "मेरे लिए भाजपा नहीं बल्कि लोग महत्वपूर्ण हैं।" मुख्यमंत्री ने यहां ‘आप’ कार्यकर्ताओं से कहा, "हमारे नेता सत्येंद्र जैन और अमानतुल्ला खान अब भी जेल में हैं। मुझे उम्मीद है कि वे जल्द ही बाहर आ जाएंगे।" उन्होंने कहा कि वह भगवान का शुक्रिया अदा करते हैं, जिसने मुश्किलों के दौरान उनका साथ दिया।
जेल में बिताए गए समय के बारे में केजरीवाल ने स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह द्वारा अंग्रेजी शासन की कैद में रहते हुए लिखे गए पत्रों का उल्लेख किया और कहा, "मैंने तिहाड़ से उपराज्यपाल को केवल एक पत्र लिखा और मुझे चेतावनी जारी कर दी गई।" उन्होंने कहा, "हमारे स्वतंत्रता सेनानियों को अपने सहकर्मियों से मिलने की अनुमति थी, लेकिन मेरे पार्टी सहयोगी संदीप पाठक को जेल में मुझसे मिलने की अनुमति नहीं थी।"
‘आप’ के एक पदाधिकारी ने कहा कि जब 21 मार्च को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने मुख्यमंत्री को गिरफ्तार किया था, तब उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल ने दिल्ली, गुजरात और हरियाणा में लोकसभा चुनावों के लिए पार्टी के प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
उन्होंने कहा, "चूंकि वह एक पूर्व भारतीय राजस्व अधिकारी भी हैं, इसलिए वह सरकार और नौकरशाही के कामकाज को समझती हैं। अगर उन्हें दिल्ली का मुख्यमंत्री नियुक्त किया जाता है तो पार्टी नेताओं में कोई विरोध नहीं होगा।"
आतिशी के बारे में पार्टी के एक अन्य पदाधिकारी ने बताया कि उनके पास 14 विभागों का प्रभार है, जो दूसरे मंत्रियों की तुलना में सबसे अधिक है। केजरीवाल की गिरफ्तारी के बाद से ही वह दिल्ली सरकार के कामकाज में अहम भूमिका निभा रही हैं। पार्टी विधायकों की बैठक में मुख्यमंत्री पद के लिए ‘आप’ के दिल्ली इकाई के अध्यक्ष और एक अन्य मंत्री गोपाल राय के नाम पर भी विचार किए जाने की संभावना है।
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