हल्द्वानी: स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट निर्माण की बाधाएं दूर
हल्द्वानी, अमृत विचार। राजकीय मेडिकल कॉलेज हल्द्वानी के अधीन स्वामी राम कैंसर चिकित्सालय एवं अनुसंधान संस्थान का जल्द उच्चीकरण किया जाएगा। यहां केंद्र सरकार की परियोजना के तहत स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट प्रस्तावित है। केंद्रीय जलवायु पर्यावरण मंत्रालय ने उन 44 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी है, जिस वजह से परियोजना का कार्य अटका हुआ था।
वर्ष 2019 में केंद्र सरकार ने हल्द्वानी में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट की मंजूरी दी थी। इसका निर्माण दो चरणों में पूरा होना था। इसके लिए करीब 103 करोड़ रुपये की धनराशि भी मंजूर कर दी गई थी। निर्माण के लिए पहली किश्त के रूप में 69 करोड़ रुपये जारी किये गये थे। पहले चरण के निर्माण में कोई दिक्कत नहीं हुई, लेकिन दूसरे चरण के निर्माण के लिए कैंसर अस्पताल परिसर में लगे 44 पेड़ों को काटना था।
जिसके लिए वन विभाग ने अनुमति नहीं दी। इस वजह से काम रुक गया और हल्द्वानी में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट बनने का सपना अटक गया। करीब छह वर्ष तक अस्पताल प्रशासन पेड़ों को काटने की अनुमति के लिए चक्कर काटता रहा। एक बार तो जारी किए गए 69 करोड़ रुपये भी वापस होने की कगार पर आ गए। राहत की बात है कि केंद्रीय जलवायु एवं पर्यावरण मंत्रालय ने 44 पेड़ों को काटने की अनुमति दे दी है। अब शीघ्र ही पेड़ों के कटान के बाद स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट का निर्माण शुरू हो जाएगा।
परियोजना की लागत बढ़ने का अनुमान
स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट परियोजना के लिए पूर्व में 103 करोड़ रुपये मंजूर हुए थे। तब से अभी तक करीब पांच वर्ष का समय बीत गया है। अनुमान है कि अब परियोजना को शुरू करने के लिए ज्यादा रकम की जरूरत होगी। अस्पताल प्रशासन का दावा है कि असली रुकावट दूर हो गई है। अब अन्य बाधाएं भी पार कर ली जाएंगी।
सरकारी संस्थान होते ही काम अटकने लगे
डॉ. सुशीला तिवारी राजकीय चिकित्सालय और स्वामी राम कैंसर चिकित्सालय पूर्व में ट्रस्ट यानि वन विभाग के अधीन थे। तब इन अस्पतालों में होने वाले विकास कार्यों में वन विभाग का अड़ंगा नहीं के बराबर लगता था। वर्ष 2010 में जब अस्पताल सरकार के अधीन आ गए और मेडिकल कॉलेज बना दिया गया। उसके बाद से यहां वन विभाग की आपत्तियों के चलते कई काम रुके हुए हैं।
अस्पताल में प्रतिदिन 40 से 50 मरीज पहुंचते हैं। मरीजों का आयुष्मान कार्ड से उपचार होता है। हल्द्वानी में स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट बनना गौरव की बात होगी। इसका लाभ केवल कुमाऊं ही नहीं, बल्कि दूसरे राज्य के लोगों को भी मिलेगा।
- डॉ. केसी पांडे, निदेशक स्टेट कैंसर इंस्टीट्यूट