लखीमपुर खीरी: बाघ को पकड़ने चले थे मगर पिंजरे में कैद हो गया वनकर्मी
करीब आधे घंटे की मशक्कत के बाद पिंजरा तोड़कर निकाला
लखीमपुर खीरी, अमृत विचार। मोहम्मदी क्षेत्र की महेशपुर रेंज की बिलहरी बीट के गांव इमलिया में बाघ को पकड़ने के लिए लगाए जा रहे पिंजड़े में बाघ तो नहीं फंसा, लेकिन शुक्रवार को एक वनकर्मी असावधानी के चलते उसमें कैद हो गया। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद उसे बाहर निकाला गया।
महेशपुर वन रेंज की बिलहरी बीट में बाघ का आंतक है। बाघ ने गांव इमलियापुर में घास काटने गए अमरीश (45) पर हमला कर दिया था, जिससे उनकी मौत हो गई थी। जिले में लगातार वन्य जीव और मानव संघर्ष की हो रही घटनाओं को लेकर मुख्यमंत्री भी बेहद गंभीर हैं। बुधवार को राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) वन पर्यावरण जन्तु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन डॉ. अरूण कुमार सक्सेना गोला पहुंचे। उन्होंने दक्षिण खीरी में मानव वन्यजीव संघर्ष की घटनाओं को लेकर अधिकारियों और माननीयों से बात की। वन राज्यमंत्री के आने के बाद वन महकमा बाघ को पकड़ने की कवायद में जुट गया। ट्रेंकुलाइज के बिना बाघ को पकड़ना सम्भव नहीं होता है। ट्रेंकुलाइज करने के लिए परमीशन की जरूरत होती है। इस अभियान में हाथियों के शामिल होने से गन्ना टूटने की समस्या होती है। ऐसे में अधिकारी चाहते हैं कि बाघ शिकार के लालच में किसी प्रकार पिंजरे में फंस जाए। इसके लिए वन विभाग ने 04 पिंजरे और 20 से अधिक ट्रैप कैमरे विभिन्न स्थानों पर लगाए हैं। लेकिन पिंजडों और कैमरों के पास बाघ नहीं आ रहा है। बताते हैं कि शुक्रवार को वन विभाग के कर्मचारी पिंजड़ा लगाकर उसे चेक कर रहे थे। इसी बीच पिंजड़े में उतरा एक वनकर्मी उसमें कैद हो गया। पिंजड़ा न खुलने से वन कर्मियों में हड़कंप मच गया। करीब आधे घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद पिंजड़े को खोलकर उसे बाहर निकाला गया। शनिवार को रेस्क्यू विशेषज्ञ आईएफएस प्रखर गुप्ता, डीएफओ संजय कुमार विस्वाल ने बाघ पकड़ने की तैयारियों का बारीकी से निरीक्षण किया। पिंजड़ों व कैमरों को भी उन्होंने देखा।
गोला व मोहम्मदी में वन्य जीवों के अनुकूल वातावरण होने से बाघों की संख्या में इजाफा हुआ है, जो गन्ने की फसल को वनावरण समझकर आकर्षित होकर प्रवास करने लगते हैं। बाघ को जल्द ही पकड़ा जाएगा। वनकर्मी के पिंजड़े में कैद होने की जानकारी मुझे नहीं है। -संजय कुमार बिश्वाल, डीएफओ दक्षिण खीरी वन प्रभाग