बाराबंकी: प्रबंधक और प्रधानाचार्य भेजे गये जेल, स्कूल की मान्यता रद्द...जानें मामला 

राज्य बाल आयोग के सदस्य ने घायल बच्चों से की मुलाकात

बाराबंकी: प्रबंधक और प्रधानाचार्य भेजे गये जेल, स्कूल की मान्यता रद्द...जानें मामला 
स्कूल का निरीक्षण करते श्याम त्रिपाठी

बाराबंकी, अमृत विचार। जहांगीराबाद थाना क्षेत्र अंतर्गत कस्बे में स्थित अवध एकेडमी स्कूल का छज्जा गिरने के मामले में शनिवार को राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग के सदस्य श्याम त्रिपाठी ने जिला अस्पताल में घायल बच्चों और उनके परिजनों से मुलाकात की।

उन्होंने बच्चों के समुचित इलाज ओर स्कूल के विरुद्ध सख्त कार्रवाई के निर्देश अधिकारियों को दिए। इसके बाद उन्होंने स्कूल में जाकर भी जांच पड़ताल की। इस पूरे प्रकरण में ज्वाइंट मजिस्ट्रेट और डीआईओएस की जांच जारी है। स्कूल को सील कर मान्यता रद कर दी गई है। यहां पढ़ रहे बच्चों का दाखिला दूसरे स्कूलों में कराने की कवायद शुरू हो गई है, जिससे उनकी पढ़ाई सुचारू रूप से चलती रहे। साथ ही स्कूल के प्रबंधक अवधेश कुमार वर्मा और प्रधानाचार्य शिव कुमार वर्मा के खिलाफ मुकदमा दर्ज करके पुलिस ने दोनों को जेल भेज दिया है। 

हादसे में घायल 17 वर्षीय छात्र आकाश को हेड और आई इंजरी के चलते डॉक्टरों ने जिला अस्पताल से लखनऊ ट्रामा सेंटर रेफर किया है। जबकि जिला अस्पताल में भर्ती कुल 27 बच्चों में से 17 बच्चों की हालत में सुधार के बाद उन्हें डिस्चार्ज कर दिया गया। बता दें कि शुक्रवार को अवध एकेडमी स्कूल का छज्जा गिरने से 40 बच्चे घायल हो गए थे। जिसके बाद घायल छात्र-छात्राओं को प्राइवेट और जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इस हादसे के बाद जिला प्रशासन ऐसे स्कूलों के खिलाफ अभियान चलाकर कार्रवाई की तैयारी कर रहा है, जो नियम विरुद्ध संचालित हो रहे हें।

भर्ती बच्चों के स्वास्थ्य के ध्यान में लगे अभिभावक
जहांगीराबाद कस्बे के अवध एकेडमी शिक्षण संस्थान में शुक्रवार की सुबह भवन का छज्जा गिरने से घायल हुए विद्यार्थियों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। जबकि ज्यादातर बच्चों को डिस्चार्ज किया जा चुका है। इस घटना में 40 से अधिक बच्चे चोटिल हुए हैं। अपने चोटिल नौनिहालों को जल्द स्वास्थ्य लाभ दिलाने के लिए अभिभावक भी दिन-रात अस्पताल परिसर में रुक खानपान के साथ पूरा ध्यान दे रहे हैं।

हादसे के कुछ बच्चों का इलाज जिला अस्पताल में चल रहा है। डॉक्टरों की टीम इन घायलों पर बराबर नजर बनाए हुए है और समुचित इलाज कर रही है। वहीं भर्ती बच्चों के माता-पिता भी अस्पताल परिसर में रात बिताकर अपने बच्चों के  स्वास्थ्य पर पूरा ध्यान लगाए हुए हैं। परिवार के सदस्य खानपान के साथ फल, दूध आदि समय-समय पर पहुंचा रहे हैं।

वहीं बच्चों के साथ बैठकर बातचीत से उनका हौसला भी बढ़ा रहे हैं। शनिवार को भी कुछ ऐसा ही दृश्य जिला अस्पताल में देखने को मिला। जहां पर बेड पर भर्ती बच्चों के माता-पिता, भाई-बहन अपने बीमार परिवार के सदस्य की सेवा में लगे दिखे। कोई मां बच्चे को चम्मच से दूध, दलिया, फल खिलाते हुए दिखी तो कोई बिजली न होने की स्थिति में पंखा आदि हांकते हुए नजर आया। वहीं अभिभावकों के चेहरों पर इस हादसे को लेकर चिंतित भी दिखी लेकिन सभी ने इस घटना के बाद अपने नौनिहालों को सुरक्षित रहने पर मन ही मन ईश्वर को नमन किया।

बाहर की दवा लिखी पर्ची के साथ मरीज
अव्यवस्थाओं और मनमानी को लेकर बदनाम जिला अस्पताल की कलई आखिर एक बार फिर खुल गई। यह तब हुआ जब राज्य बाल संरक्षण आयोग के सदस्य के जिला अस्पताल भ्रमण कर रहे थे। जहांगीराबाद कांड के घायलों से मिलने पहुंचे सदस्य की नजर दवा काउंटर के बाहर लगी मरीजों की लंबी लाइन पर गई तो वह वहां जा पहुंचे, तभी उनकी नजर मरीजों के हाथ में मौजूद सादी पर्चियों पर पड़ी।

वह पूंछ बैठे कि यह सादी पर्ची कहां की है तो मरीजों ने जवाब दिया कि डॉक्टर ने दी है इसमें बाहर की दवाएं लिखी हुई हैं। यह सुनकर हैरत में पड़े आयोग के सदस्य मरीजों के साथ बताए गए डॉक्टरों के कक्ष में गए और सादी पर्ची को लेकर सवाल किया तो मौजूद डॉक्टरों ने खुद के द्वारा पर्ची लिखे जाने से इनकार कर दिया। इस दौरान डॉक्टर के साथ मौजूद कई चेहरे गायब हो गए।

आयोग के सदस्य ने मौजूद सीएमएस को चेतावनी दी कि बाहर की दवाएं न लिखी जाएं। इस बारे में आयोग के सदस्य श्याम तिवारी ने बताया कि मरीजों से जो पर्चियां मिली हैं, उन मरीजों को संबंधित चिकित्सक के पास ले जाकर अस्पताल की दवाएं दिलवाई गईं। उन्होंने कहा कि हालात ठीक नहीं हैं, जब यह सब मेरे सामने हो रहा है, तो पीछे जाने क्या-क्या होता होगा। हालात न सुधरे तो शासन तक शिकायत होगी। सीएमएस को बाहर की दवाएं न लिखने के लिए आगाह किया गया है।

जो स्कूल मानक के अनुरूप नहीं हैं। जिनकी मान्यता पांचवीं और आठवीं तक की है। उसके बाद भी बारहवीं तक की कक्षा संचालिक कर रहे हैं। अभियान चलाकर ऐसे सभी स्कूलों को बंद कराया जाएगा। साथ ही सभी की मान्यता भी रद्द की जाएगी-ओपी त्रिपाठी, डीआईओएस।

बच्चों और उनके अभिभावकों से मुलाकात कर हर संभव मदद का अश्वासन दिया है। साथ ही स्कूल की मान्यता रद्द करने के निर्देश दिये हैं। इस तरह के जितने भी स्कूल संचालित हैं, उन सभी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी-श्याम त्रिपाठी, सदस्य, राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ।

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