शाहजहांपुर: डिलीवरी के बाद जच्चा-बच्चा की बिगड़ी तबीयत, दोनों की हुई मौत...परिजनों ने डॉक्टर पर लगाया लापरवाही का आरोप
मौके पर जांच करने पहुंची पुलिस
तिलहर, अमृत विचार। निजी अस्पताल में बेटे को जन्म देने के कुछ घंटे बाद महिला की अचानक तबीयत बिगड़ गई। अस्पताल प्रबंधन ने उसे इलाज के लिए बरेली रेफर किया, लेकिन रास्ते में महिला और नवजात बच्चे दोनों की मौत हो गई। परिजनों ने अस्पताल के डॉक्टर पर लापरवाही का आरोप लगाते हुए अस्पताल में जमकर हंगामा काटा।
कोतवाली थाना क्षेत्र के गांव रोशनपुर निवासी संजीव कुमार कश्यप ने गर्भवती पत्नी शकुंतला देवी को प्रसव पीड़ा होने पर 28 जून को गांव की आशा के कहने पर नगर के प्राइवेट अस्पताल में भर्ती कराया था। संजीव ने बताया कि अस्पताल में मौजूद डॉक्टर ने शकुंतला को देखकर खून की कमी होने की बात कही। कहा कि नार्मल डिलीवरी हो जाएगी। जिस पर उन्होंने अपनी पत्नी को अस्पताल में भर्ती करा दिया। उसके बाद पत्नी का इलाज शुरू हो गया। वहीं डॉक्टरों ने 5 यूनिट खून की व्यवस्था करने को कहा।
इसके बाद वह खून की व्यवस्था करने के लिए शाहजहांपुर चले गए। इसी बीच रात के समय करीब 10 बजे छोटे ऑपरेशन से शकुंतला ने बेटे को जन्म दिया। डॉक्टरों ने बेटे को एक मशीन में रख दिया। रात करीब दो बजे महिला व उसके नवजात बच्चे की तबीयत अचानक बिगड़ गई। अस्पताल के डॉक्टरों ने एंबुलेंस से दोनों को बरेली के लिए रेफर कर दिया, लेकिन अस्पताल पहुंचने से पहले ही रास्ते में जच्चा और बच्चा दोनों की मौत हो गई।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों की लापरवाही के चलते जच्चा-बच्चा की मौत हुई। दोनों की मौत के बाद परिजन शवों को लेकर अस्पताल पहुंचे। जहां पर अस्पताल मालिक एवं डॉक्टरों ने उन्हें धक्का-मुक्की करके अस्पताल से बाहर निकाल दिया। तभी पीड़ित ने 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को सूचना देकर बुलाया। पुलिस ने हंगामा कर रहे परिजनों को शांत कराया।
दौरा पड़ने से हुई प्रसूता की मौत
उधर, अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि महिला की मौत उनके अस्पताल में नहीं हुई है। महिला की तबीयत खराब होने पर उन्होंने दोनों को बरेली के एक अस्पताल में रेफर कर दिया था। बरेली के अस्पताल में दोनों की मौत हुई होगी। अस्पताल संचालक सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि हमारे अस्पताल में मरीज को भर्ती किया गया था। उसने रात करीब 10 बजे लड़के को जन्म दिया। मरीज शकुंतला देवी ने 1:30 बजे चाय पी। उसके बाद उसे दौड़ा पड़ गया। तभी अस्पताल के डॉक्टरों ने उसे बरेली के लिए रेफर कर दिया, बरेली के अस्पताल में दोनों की मौत हो गई।
आशा की भूमिका सवालों में
मृतक शकुंतला के परिजनों का कहना है कि उन्होंने गांव की आशा के कहने पर जच्चा बच्चा को निजी अस्पताल में भर्ती कराया था। अगर परिजनों की बात सही है तो मामले में आशा की भूमिका भी सवालों में है क्योंकि आशाओं का काम सरकारी अस्पतालों में प्रसूताओं को भर्ती कराने का है न कि निजी अस्पताल में। इसके बाद भी आशाएं निजी अस्पतालों में महिलाओं को डिलीवरी के लिए भेजती हैं। इसके पीछे कमीशन का खेल बताया जाता है। कहा जा रहा है कि आशाएं निजी अस्पताल से कमीशन लेने के चक्कर में महिलाओं को सरकारी की जगह निजी अस्पताल में भर्ती करा रही हैं।
सूचना पर पुलिस मौके पर गई थी, लेकिन पीड़ित संजीव कुमार कश्यप ने पोस्टमार्टम कराने से मना कर दिया। आपस में दोनों पक्षों का फैसला हो गया है।- विशाल प्रताप सिंह, इंस्पेक्टर तिलहर।
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