सीतापुर: शुरू नहीं हो पाया राजकीय महिला महाविद्यालय, 40 किमी दूर पढ़ने जा रहीं छात्राएं

2017 में बनकर हुआ था तैयार, उच्च शिक्षा पाने की छात्राओं की पूरी नहीं हो पा रही हसरत

सीतापुर: शुरू नहीं हो पाया राजकीय महिला महाविद्यालय, 40 किमी दूर पढ़ने जा रहीं छात्राएं

नैमिषारण्य/सीतापुर, अमृत विचार। पौराणिक तीर्थ नैमिषारण्य में आज तक उच्च शिक्षा की व्यवस्था पूर्ण रूप से नहीं हो सकी है, जोकि छात्राओं के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश प्रदेश सरकार ने नैमिषारण्य में राजकीय महिला महाविद्यालय निर्मित कराया था, परंतु कई वर्षों के बावजूद आज भी यह महाविद्यालय प्रारम्भ होने की प्रतीक्षा कर रहा है।

 उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा इस राजकीय महिला महाविद्यालय के निर्माण के लिए 843.74 लाख रुपये की स्वीकृति प्रदान की गई थी। 25 जनवरी 2016 को इस महाविद्यालय का निर्माण कार्य प्रारंभ हुआ था एवं इस भवन का निर्माण कार्य पूर्ण करने की तिथि 25 जून 2017 निर्धारित थी, परंतु कार्यों में देरी के चलते वर्ष 2022 में इसका निर्माण कार्य पूर्ण हुआ था। 

इस राजकीय महिला महाविद्यालय का निर्माण लखनऊ की कार्यदाई संस्था उत्तर प्रदेश राजकीय निर्माण निगम लिमिटेड ने कराया था। फिलहाल कई वर्षों से यह राजकीय महाविद्यालय बनकर तैयार है एवं प्रारंभ होने की प्रतीक्षा कर रहा है उच्च अधिकारियों का ध्यान इस तरफ आकर्षित नहीं होता जिसके चलते धीरे-धीरे यह उपेक्षा का शिकार होता चला जा रहा है। भवन निर्माण के समय छात्राओं एवं अभिभावकों को यह उम्मीद थी कि अब जल्द ही उच्च शिक्षा की समस्या का समाधान हो जाएगा, लेकिन यह केवल सपना बनकर रह गया। 

इंटर के बाद पढ़ाई छोड़ रहीं छात्राएं 

ठाकुर नगर गाँव निवासी निवासी नीरज सक्सेना बताते हैं कि स्थानीय स्तर पर उच्चतम शिक्षा वाले विद्यालय न होने के चलते छात्राओं को करीब 40 कि.मी दूर जाना पड़ता है जिसके चलते छात्राओं को मजबूरन बीच में पढ़ाई छोड़नी पड़ जाती है। 

संपूर्ण विश्व में अपनी अनूठी पहचान रखने वाला यह तीर्थ शिक्षा के मामले में सबसे पीछे है। स्थानीय निवासी ज्ञानप्रकाश दीक्षित ने बताया कि सपा सरकार में इस महाविद्यालय का निर्माण कार्य प्रारंभ कराया गया था, परंतु यह केवल एक साधारण भवन बनकर रह गया है आज भी छात्राएं इस महाविद्यालय में शिक्षा ग्रहण करने की राह देख रही हैं। 

रिया मिश्रा ने कहा कि यदि उच्च शिक्षा के लिए इस महाविद्यालय को प्रारंभ कर दिया जाए तो हम सभी छात्राओं को बेहतर शिक्षा प्राप्त हो सकती है। जिज्ञासा ने बताया कि उच्च शिक्षा के लिए 40 कि.मी दूर जाने के चलते कई छात्राओं ने इण्टर के बाद मजबूरन पढ़ाई छोड़ दी, यदि विद्यालय संचालित होता तो शायद छात्राओं को पूरी शिक्षा मिल सकती थी।

यह भी पढ़ें:-देश के आर्थिक विकास और रोजगार सृजन में लघु उद्योगों का अहम योगदान: सीएम योगी