शहर से गांव तक लगाई पाठशाला, बताई नए कानून की खूबी

लागू हुए तीनों नए कानून, मगर पूर्व की वारदातों में दर्ज होगी आईपीसी ही

शहर से गांव तक लगाई पाठशाला, बताई नए कानून की खूबी

अयोध्या,  अमृत विचार। तीनों नए कानून के लागू होने पर शहर से गांव तक पुलिस के अधिकारियों ने पाठशाला लगाई और नए कानून की खूबियों का विस्तार से वर्णन किया। मगर 30 जून की मध्य रात्रि तक हुए अपराध आईपीसी की धाराओं में ही दर्ज किए जाएंगे। आम जन को कानून के धाराओं की जानकारी देने के लिए पत्रक भी वितरित किया गया। आईजी नगर कोतवाली और एसएसपी इनायतनगर थाने पर आयोजित पाठशाला में मौजूद रहे तो अन्य थाना-कोतवाली में भी राजपत्रित अधिकारियों ने मोर्चा संभाला।  

नगर कोतवाली में आयोजित कार्यक्रम को संबोधित करते हुए आईजी प्रवीण कुमार ने कहा कि यह दंड प्रक्रिया संहिता का भारतीय न्याय संहिता में बदलाव दंड से न्याय का सफर है। जिसमें पीड़ित कम समय और महिलाओं त्वरित में न्याय दिलाने की व्यवस्था की गई है। उन्होंने कहा कि अनुपालन के लिए पुलिस कर्मियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है। भाजपा जिलाध्यक्ष संजीव सिंह, महानगर अध्यक्ष कमलेश श्रीवास्तव, एसपी सिटी मधुबन कुमार सिंह, सीओ सिटी शैलेन्द्र सिंह, प्रभारी निरीक्षक अश्वनी कुमार पाण्डेय, महिला थानाध्यक्ष मंजू देवी समेत अन्य मौजूद रहे।

इनायतनगर थाने में आयोजित कार्यक्रम में एसएसपी राजकरन नय्यर ने तीनों नए आपराधिक कानूनों के प्रावधानों, अधिकार एवं कर्तव्यों के बारे में जागरूक किया। बताया कि इस कानून के लागू होने से न्याय सुगम होगा तथा मामलों का जल्दी निपटारा हो सकेगा। सहायक अभियोजन अधिकारी ने कानूनों की बारीकियां बताई। क्षेत्राधिकारी मिल्कीपुर सुनील कुमार सिंह, थाने के प्रभारी निरीक्षक अभिमन्यु शुक्ल समेत पुलिस कर्मी व अन्य मौजूद रहे। महिला थाना परिसर में सीओ सिटी शैलेन्द्र सिंह ने महिला अपराध को लेकर नए कानून के प्राविधानों की विस्तार से जानकारी दी। इसके अलावा अन्य थाना व कोतवाली में एसपी देहात एके सोनकर समेत सीओ सदर, सीओ बीकापुर, सीओ मिल्कीपुर और सीओ अयोध्या ने नए कानून के प्रति जागरूक किया।  

विश्वविद्यालय में हुई संगोष्ठी 

तीनों नए कानून को लेकर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग एवं शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार के निर्देश पर अवध विश्वविद्यालय में नवीन आपराधिक विधि के प्रवर्तन एवं संभावनाएं' विषयक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। मुख्य अतिथि वरिष्ठ अधिवक्ता अखिलेश कुमार शाह ने कहा कि आपराधिक विधि में उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए दण्ड का प्रावधान है। गलत आचरणों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए न्याय के साधन के रूप में दण्ड दिया जाता है। उन्होंने कहा कि दण्ड निर्धारण के समय दण्ड के उद्देश्यों एवं अपराध की प्रकृति को भी ध्यान में रखा चाहिए, नहीं तो न्याय प्राप्ति सुनिश्चित नहीं हो पाएगा।

विधि संकायाध्यक्ष प्रो अशोक कुमार राय ने कहा कि तीनों नए कानून दण्ड पर नहीं बल्कि न्याय के अद्वितीय भारतीय लोकाचार पर आधारित हैं, जो न्याय दिलाने में सफल होगा। एसोसिएट प्रोफेसर डॉ अजय कुमार सिंह ने बताया कि नए आपराधिक कानूनों में तकनीक व विज्ञान का समावेश है, डिजिटलीकरण को बढ़ावा दिया गया है और प्रक्रिया को पारदर्शी बनाया गया है। डॉ शशि कुमार ने कानून में पुनरावृत्ति को रोकने और डॉ रजनीश कुमार श्रीवास्तव ने आतंकवाद के लिए कठोर दंड के प्राविधान होने की बात कही।

 

यह भी पढ़ें :- लखनऊ क्राइम ग्राफ : छमाही अपराध, पश्चिम जोन में तबाड़तोड़ वारदात