विपक्ष की एकजुटता

विपक्ष की एकजुटता

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को अठारहवीं लोकसभा की पहली बैठक की शुरूआत में कामकाज को लेकर स्पष्ट कर दिया कि उनकी सरकार सहमति के साथ चलने का प्रयास करेगी। देश जिम्मेदार विपक्ष चाहता है और देश की जनता विपक्ष से नखरे, ड्रामा, नारेबाजी और व्यवधान की जगह  ठोस काम और संसद की गरिमा बनाए रखने की उम्मीद करती है। 

वहीं  ‘इंडिया’ गठबंधन के सांसदों ने एकजुटता दिखाकर साबित कर दिया कि विपक्ष इस बार लोकसभा में अपेक्षाकृत मजबूत स्थिति में है। विपक्षी गठबंधन के कई घटक दलों के नेता संविधान की प्रति लेकर सदन में पहुंचे। गौरतलब है कि आठ कार्य दिवसों के छोटे सत्र में पहले दो दिन नवनिर्वाचित सांसदों को शपथ दिलाने, उसके बाद लोकसभाध्यक्ष का चुनाव, राष्ट्रपति द्वारा दोनों सदनों को संयुक्त संबोधन और राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर चर्चा शामिल है। इस छोटे सत्र में प्रधानमंत्री मोदी पर अनेक मुद्दों को लेकर विपक्ष के हमले होने तय हैं।

 विपक्ष कितना आक्रामक हो सकता है, इसका इशारा राहुल गांधी ने यह कहकर दे दिया है कि कांग्रेस देश की जनता के समर्थन से किसी भी कीमत पर संविधान की रक्षा करेगी। साथ ही विपक्ष ने आपातकाल वाले बयान को लेकर प्रधानमंत्री पर निशाना साधा है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि प्रधानमंत्री ने 50 साल पहले के आपातकाल का जिक्र किया, लेकिन पिछले 10 वर्षों के उस अघोषित आपातकाल को भूल गए जिसका जनता ने इस लोकसभा चुनाव में अंत कर दिया है। 

भाजपा की संख्या अभी भी कांग्रेस से दोगुनी से अधिक है, लेकिन सत्तारूढ़ दल पूर्ण बहुमत से दूर है। इस बार दो दलों के समर्थन पर टिकी सरकार को जहां एक ओर बहुत मजबूत व संयुक्त विपक्ष (इंडिया) का सामना करना होगा, वहीं उनके अपने सहयोगी दलों का भी दबाव होगा। नए सदन में कांग्रेस की शक्ति लगभग दोगुनी हो गई है। इंडिया की सदस्य संख्या भी इतनी है कि सरकार विपक्ष की उपेक्षा नहीं कर पाएगी। 

खासतौर पर संवेदनशील मसलों पर।  2014 के बाद पहली बार कांग्रेस आधिकारिक तौर पर नेता पद का दावा करने के लिए पात्र होगी। नई लोकसभा में सरकार का एजेंडा 27 जून को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू दोनों सदनों की साझा बैठक में स्पष्ट करेंगी।

उसके बाद 1 जुलाई को राष्ट्रपति के अभिभाषण पर सदन में चर्चा की जाएगी और 2 जुलाई को प्रधानमंत्री मोदी राष्ट्रपति अभिभाषण को लेकर अपना जवाब देंगे। नई लोकसभा में वह प्रधानमंत्री का पहला संबोधन होगा। जाहिर है अगर विपक्ष चुनाव पूर्व हुए गठबंधन को बरकरार रखने में कामयाब रहता है तो वह महत्वपूर्ण सवाल खड़े करने की स्थिति में होगा। यह संसदीय लोकतंत्र के लिए बेहतर होगा।