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विकसित भारत का संकल्प
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अठारहवीं लोकसभा के गठन के बाद गुरुवार को संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देश की प्रगति और सुशासन का रोडमैप प्रस्तुत किया है। यानी सरकार के विजन के प्रभावी दस्तावेज में प्रगति और भविष्य की संभावनाओं को शामिल किया।
सीएए का जिक्र किया और कहा कि मोदी सरकार ने इस अधिनियम के तहत शरणार्थियों को नागरिकता देना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा इसने विभाजन के कारण पीड़ित कई परिवारों के लिए एक सम्मानजनक जीवन सुनिश्चित किया है। राष्ट्रपति ने कहा कि हाल ही में कुछ परीक्षाओं में हुई पेपर लीक की घटनाओं की निष्पक्ष जांच और दोषियों को कड़ी से कड़ी सजा दिलाने के लिए सरकार प्रतिबद्ध है।
भारत को देखने का विश्व का नज़रिया बदला है। पड़ोसी प्रथम की नीति पर चलते हुए, भारत ने पड़ोसी देशों के साथ अपने रिश्तों को मज़बूत किया है। सात पड़ोसी देशों के नेताओं का 9 जून को केंद्रीय मंत्रिपरिषद के शपथ ग्रहण समारोह में भाग लेना, सरकार की इस प्राथमिकता को दर्शाता है। पूर्वी एशिया हो या फिर मिडिल-ईस्ट और यूरोप, सरकार कनेक्टिविटी पर बहुत बल दे रही है।
भारत के विजन ने ही इंडिया मिडिल ईस्ट यूरोप इकोनॉमिक कॉरिडोर को आकार देना शुरू किया है। अफ्रीका महाद्वीप के साथ-साथ पूरे ग्लोबल साउथ का भरोसा मज़बूत हुआ है। कहा जा रहा है कि ये सदी भारत की है, और आने वाला दौर भारत का दौर है। सरकार भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने की दिशा में काम कर रही है।
सकारात्मक संदेश दिया कि जब भारत तीसरे नंबर की इकोनाॅमी बनेगा तो देश की इस सफलता में सभी की सहभागिता होगी। राष्ट्रपति ने सरकार की पिछले 10 वर्षों की जो उपलब्धियां गिनाईं, उनमें सेना को आत्मनिर्भर बनाने की तैयारियां तथा पूर्वोत्तर में शांति के लिए सरकार के प्रयासों का भी जिक्र किया। इस दृष्टि से अभिभाषण व्यापक था। उन्होंने विश्वास जताया कि स्पष्ट दृष्टिकोण और स्पष्ट रास्ता तय करते हुए लोकसभा में जन कल्याण के फैसलों का नवीन अध्याय लिखा जाएगा।