AKTU: गुजरात में रची गई 120 करोड़ रुपए हड़पने की साजिश, महाराष्ट्र में खपाई रकम, 48 घंटे में निकाल लिए गए थे एक करोड़ रुपये

AKTU: गुजरात में रची गई 120 करोड़ रुपए हड़पने की साजिश, महाराष्ट्र में खपाई रकम, 48 घंटे में निकाल लिए गए थे एक करोड़ रुपये

लखनऊ, अमृत विचार। एकेटीयू के 120 करोड़ रुपये हड़पने के लिए गुजरात में साजिश रची गई थी। साइबर क्राइम थाने की टीम ने जालसाज गिरोह के सात सदस्यों को गिरफ्तार किया है। वहीं, अभी सात से अधिक सदस्य फरार बताए जा रहे है। जिनमें तीन गुजरात से जुड़े है। वहीं, दो यूपी और दो महाराष्ट्र के बताए जा रहे हैं। टीम इन सभी की तलाश में दबिश दे रही है। पुलिस टीम महाराष्ट्र में किन लोगों ने एक करोड़ रुपये खपाए इसकी डिटेल जुटा रही है।

पुलिस के मुताबिक एकेटीयू के 120 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने के मामले में शामिल गिरोह के सरगना कपिल व साथी अनुराग ने 48 घंटे में ही करीब एक करोड़ रुपये निकाल लिये थे। ये रकम इन लोगों ने पहले से चिह्नित बचत व फर्जी दस्तावेज से खोले गये खातों में जमा करवायी। इसके बाद अपने कुछ परिचितों की मदद से ये एक करोड़ रुपये महाराष्ट्र में निकलवा भी लिये। इसके लिये एटीएम कार्ड व चेक बुक का इस्तेमाल किया गया। ज्यादातर रकम मुंबई में निकाली गई। कुछ बैंक खातों की डिटेल पुलिस के पास आ गई है। वहीं, कुछ की डिटेल खंगाली जा रही है।

फर्जीवाड़े के लिए खुलवाए थे दो दर्जन खाते

डीसीपी पूर्वी प्रबल प्रताप सिंह के मुताबिक दो दर्जन से अधिक छोटे-बड़े खाते इस फर्जीवाड़े के कुछ दिन पहले ही खुलवाये गये थे। कुछ अन्य खातों को भी चिह्नित किया गया था। चिह्नित खातों के संचालक ने कमीशन के लालच में प्रयोग करने दिया था। पुलिस ने इन लोगों से भी सम्पर्क किया है। इनसे काफी कुछ जानकारियां मिली है। पुलिस दावा कर रही है कि कपिल व अनुराग और उसके अन्य सहयोगियों की गिरफ्तारी के बाद पूरा नेटवर्क सामने आयेगा। इसके बाद ही पता चलेगा कि इसमें कितने लोग शामिल थे। बैंक के कौन लोग संपर्क में रहे। एकेटीयू का कोई कर्मचारी इस गिरोह के सम्पर्क में तो नहीं था। ऐसे कई सवालों का जवाब सरगना की गिरफ्तारी के बाद ही पता चलेगा।

गुजरात में छिपा है मास्टर माइंड

जालसाज गिरोह का सरगना कपिल गुजरात का रहने वाला है। वहीं उसने अपने कुछ अन्य साथियों के साथ मिलकर पूरी साजिश रची थी। फर्जीवाड़े को अंजाम देने के लिए बस्ती निवासी अनुराग श्रीवास्तव और जय कुमार उर्फ एनके सिंह को मोहरे की तरह प्रयोग किया। पुलिस सूत्रों की मानें तो इन दोनों को हड़पी गई रकम का दो-दो प्रतिशत हिस्सा देने का लालच दिया था। दोनों बैंक ओर एकेटीयू में अधिकारी बनकर गए थे। वहां खाता खुलवाया और फंड ट्रांसफर कराए। इसके बाद का काम गिरोह के महाराष्ट्र के सदस्यों ने किया। रकम निकालने के लिए मुंबई और महाराष्ट्र के पुणे जैसे स्थानों का चयन किया गया था। ताकि पुलिस गिरोह के सरगना तक आसानी से नहीं पहुंच सके।

फरार आरोपितों की तलाश में छापे

एडीसीपी पूर्वी अमित कुमावत ने बताया कि मुख्य आरोपी सूरत का कपिल और अनुराग श्रीवास्तव हाथ नहीं लगे है। दो दिन पहले गिरफ्तार हुए इनके सहयोगी उदय पटेल, देवेन्द्र प्रसाद प्रभाशंकर, गिरीश चन्द्र, शैलेश कुमार, राजेश बाबू, दस्तगीर आलम और कृष्णकांत से कई घंटे पूछताछ की गई थी। फर्जीवाड़े के अहम कदम के बारे में इन्हें ज्यादा नहीं पता था।

संदेह के घेरे में बैंक मैनेजर की भूमिका

पुलिस सूत्रों की माने तो इस फर्जीवाड़े में बैंक कर्मचारियों और अधिकारियों की भूमिका संदेह में है। सबसे अधिक संदेह के घेरे में बैंक प्रबंधक है। जो छुट्टियों पर होने के बाद बावजूद कई अहम दस्तावेज उपलब्ध कराए और खाता खुलवाने से लेकर फंड ट्रांसफर कराने में सहयोग किया। वहीं फर्जी तरीके से खोले गए एकेटीयू के खाते से सौ करोड़ रुपये बिना किसी उच्चाधिकारी के संज्ञान में आए निकासी की अनुमति दे दी। डेली रिपोर्ट में मिलाने में डीजीएम ने इस हेराफेरी को पकड़ा तो आनन-फानन बैंक मैनेजर मामला दर्ज कराने पुलिस के पास पहुंच गए। पुलिस अधिकारियों की माने तो बैंक मैनेजर की भूमिका और मोबाइल की कॉल डिटेल खंगाली जा रही है।