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एलयू में पालक पर हुई रिसर्च, लवणीय मिट्टी के लिए नई उम्मीद
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लखनऊ, अमृत विचारः लखनऊ विश्वविद्यालय में बायोइंजीनियर्ड गोल्ड नैनोपार्टिकल्स के उपचार से पालक की नमक तनाव के प्रति सहनशीलता में वृद्धि पर शोध किया गया। इससे लवणीय मिट्टी के लिए नई उम्मीद लेकर आएगी। यह शोध किसानों और वैज्ञानिकों के लिए नई संभावनाएं लेकर आएगी। जिससे फसलों को नमक जैसी समस्याओं के बावजूद भी स्वस्थ रखा जा सकेगा। नैनोपार्टिकल्स का उपयोग विज्ञान में नई खोजों के लिए महत्वपूर्ण हो रहा है। वनस्पति विज्ञान विभाग में प्रो. मोहम्मद इसराईल अंसारी के नेतृत्व में एक शोध दल ने पाया है कि गोल्ड नैनोपार्टिकल्स का उपयोग करके पालक के पौधों को नमक के उच्च स्तर के तनाव में भी बेहतर वृद्धि और सहनशीलता मिलती है। यह शोध जून 2024 में फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस (स्विट्ज़रलैंड) में प्रकाशित हुआ है।
पालक पोषण, उत्पादन और खपत के दृष्टिकोण से बहुत महत्वपूर्ण सब्जी है। इसके अलावा, इसमें अन्य खाद्य पदार्थों की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक GABA होता है। GABA पौधों, विशेष रूप से पत्तेदार सब्जियों के विकास और तनाव प्रबंधन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्रो. अंसारी ने बताया कि गोल्ड नैनोपार्टिकल्स विषैले नहीं होते और नैनो मात्रा में उपयोग से फसलों को प्रतिकूल परिस्थितियों में पनपने में मदद मिलती है, जिससे खाद्य सुरक्षा और बेहतर कृषि उपज सुनिश्चित होती है।
प्रोफेसर एम.आई. अंसारी ने बताया कि उन्होंने और उनके समूह द्वारा पहले किए गए शोध, जो साउथ अफ्रीकन जर्नल ऑफ बोटनी में प्रकाशित हुआ था। उस शोध में दिखाया गया है कि गोल्ड और सिल्वर नैनोपार्टिकल्स पालक के पौधों की वृद्धि के पैरामीटर को महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा सकते हैं। अपने वर्तमान शोध में, जो फ्रंटियर्स इन प्लांट साइंस में प्रकाशित हुआ है, उन्होंने गोल्ड नैनोपार्टिकल्स (AuNPs) का उपयोग पालक के पौधों में नमक तनाव को सुधारने के लिए किया है।
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