Banda: जालसाज गिरोह का भंडाफोड़: पुलिस अधिकारी बनकर करता था लोगों से वसूली; गिरफ्तार, अन्य की तलाश जारी
बांदा, अमृत विचार। पुलिस अधिकारी बनकर विभिन्न मुकदमों में वादी तथा प्रतिवादी से काम कराने का झांसा देकर पैसे की वसूली करने वाले गिरोह का पुलिस ने पर्दाफाश करते हुए एक सदस्य को गिरफ्तार कर लिया। जबकि गिरोह के फरार अन्य सदस्यों की पुलिस तलाश में जुटी है।
पुलिस लाइन सभागार में आयोजित प्रेस वार्ता में अपर पुलिस अधीक्षक लक्ष्मी निवास मिश्र ने अवैध वसूली करने वाले गिरोह का पदार्फाश करते हुए बताया कि बिसंडा थाना क्षेत्र के दफ्तरा गांव निवासी मनीष पटेल ने एक अप्रैल को पुलिस अधीक्षक के समक्ष प्रार्थना पत्र दिया कि 31 मार्च की शाम को एक पुलिस अधिकारी द्वारा उनके फोन पर काल करके कहा गया कि वह एसपी कार्यालय से बोल रहे हैं।
उसने कहा कि तुम्हारी पत्नी ने तुम्हारे विरूद्ध मुकदमा लिखवाया है, यदि मुकदमा समाप्त कराना चाहते हो तो इसी नंबर पर 50 हजार रुपए पेटीएम से भेज दो। यदि तुमने ऐसा नहीं किया तो तुम्हें जेल जाना पड़ेगा। प्रकरण का संज्ञान लेकर एसपी ने साइबर थाना व थाना बिसंडा की संयुक्त पुलिस टीम को मामले के अनावरण व अभियुक्त की गिरफ्तारी के लिए लगाया गया।
पुलिस टीम द्वारा सर्विलांस की मदद से शिकायतकर्ता के पास आए काल के मोबाइल नंबर की लोकेशन के आधार पर मानवेंद्र उर्फ मोनू यादव पुत्र प्रभुदयाल यादव निवासी महेवा चक-2 थाना लेधौरा जनपद टीकमगढ़ (मध्य प्रदेश) को पुलिस ने थाना सैदरी जनपद निवाड़ी पुलिस की सहायता से ग्राम तरीचर खुर्द से पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया। पूछताछ में अभियुक्त मानवेंद्र द्वारा बताया गया कि उसके गांव महेवा के अधिकांश लड़के जालसाजी कर काम करते है।
वह उत्तर प्रदेश पुलिस के यूपी कॉप एल्पीकेशन के माध्यम से उत्तर प्रदेश के किसी भी जनपद के किसी भी थाने में पंजीकृत एफआईआर की कापी निकालकर उसका पूरा मामला समझते हैं। जिसके उपरांत पुलिस अधिकारी बनकर दूसरे के नाम पर जारी फर्जी नाम, पता के सिमकार्ड से मुकदमे के वादी से वार्ता कर उन्हें कार्रवाई कर विश्वास दिलाकर पैसे की वसूली करते हैं। साथ ही मुकदमे के वादी से प्रतिवादी का नंबर लेकर प्रतिवादी से बात कर उसे मुकदमा समाप्त कराने का भरोसा दिलाकर पैसे की वसूली करते हैं।
पैसे न देने पर जेल भेजने के लिए डराते हैं। गिरफ्तार अभियुक्त द्वारा बताया गया कि उसको यह काम उसके गांव के ही राहुल यादव ने सिखाया था तथा वहीं सिम कार्ड व मोबाइल उपलबध कराता था। साथ ही किस खाते में पैसा लेना है वहीं बताता है। जो भी पैसा फजीर्वाड़े से मिलता है उसका 30 प्रतिशत राहुल लेता था। अभियुक्त द्वारा यह भी बताया गया कि 31 अप्रैल को उसने थाना बिसंडा के ग्राम दफ्तरा के रहने वाले मनीष पटेल को फोन किया था।
अभियुक्त के कब्जे से फर्जीवाड़े में प्रयुक्त एक फोन व एक फर्जी सिमकार्ड बरामद हुआ हैं। फरार अभियुक्त राहुल यादव एवं अन्य अज्ञात आरोपियों की तलाश की जा रही हैं। गिरफ्तार करने वाली टीम में उप निरीक्षक अकरम सिद्दीकी, साइबर थाना हेड कास्टेबिल जाफरुल इस्लाम, अनिल कुमार आर्य, हिमांशु वर्मा, आशुतोष यादव, उत्कर्ष शुक्ला शामिल रहे।