गरमपानी: पांच करोड़ की योजना के बावजूद गांवों में पानी को हाहाकार

गरमपानी, अमृत विचार। पांच करोड़ रुपये की धनराशि से कोसी नदी पर बनी मझेड़ा- ब्यासी पंपिंग पेयजल योजना के बावजूद गांव के लोग बूंद- बूंद पानी को तरस रहे हैं। समीपवर्ती किमू, मझेड़ा, डोबा समेत आसपास के गांवों में आए दिन पेयजल आपूर्ति ठप होने से परेशान हैं। गुस्साए व्यापारियों ने योजना निर्माण करने वाले ठेकेदार के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है।
सरकार ने गांवों में पानी का सूखा खत्म करने को कोसी नदी पर पंपिंग पेयजल योजना निर्माण के लिए पांच करोड़ रुपये की धनराशि स्वीकृत की थी। उम्मीद थी कि गांवों के लोग लाभान्वित हो सकेंगे। केंद्रीय रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट ने बीते कुछ महीने पहले मझेड़ा - ब्यासी पंपिंग पेयजल योजना का लोकार्पण भी कर दिया।
योजना निर्माण को कई महीने बीत जाने के बावजूद गांवों के लोग आज भी पेयजल संकट का सामना करने को मजबूर हैं। आए दिन पेयजल आपूर्ति ठप होने से लोग दूरदराज से पानी ढोने को मजबूर हो चुके हैं। समीपवर्ती डोबा, किमू, मझेड़ा समेत तमाम गांवों में आए दिन पेयजल संकट गहराता जा रहा है।
व्यापारी नेता दीपक सिंह बिष्ट ने आरोप लगाया कि करोड़ों रुपये की लागत से बनी योजना से पानी न मिलना समझ से परे है। कई बार कहने के बावजूद व्यवस्था में सुधार नहीं हो रहा। व्यापार मंडल अध्यक्ष गजेंद्र नेगी, विरेंद्र सिंह, महेंद्र सिंह, गोविंद सिंह आदि ने कार्यदायी संस्था के अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठाई है। चेतावनी दी है कि यदि गांवों की उपेक्षा हुई तो फिर आंदोलन का बिगुल फूंक दिया जाएगा।