प्रयागराज: कानून के नाम पर उच्च सुरक्षा वाले कैदियों की धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप करना उचित नहीं- HC

प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इटावा स्थित केंद्रीय कारागार में हत्यारोपी एक कैदी की धार्मिक भावनाओं का ध्यान रखते हुए संबंधित जेल अधीक्षक को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि उच्च सुरक्षा वाले कैदी की रमजान के महीने में पांच बार नमाज अदा करने की धार्मिक प्रथाओं में हस्तक्षेप न किया जाए और उन्हें कुरान अपने पास रखने की भी अनुमति दी जाए।
उक्त आदेश न्यायमूर्ति अश्विनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति नंद प्रभा शुक्ला की खंडपीठ ने उज़मा आबिद की याचिका को निस्तारित करते हुए पारित किया। याचिका में दावा किया गया था कि याची के पति को जेल के अंदर रमजान के महीने में धार्मिक प्रथाओं के अनुसार नमाज अदा करने की अनुमति नहीं दी जा रही है और उससे कुरान भी छीन ली गई है। कोर्ट को बताया गया कि याची का पति वर्ष 2005 के एक हत्या मामले में आजीवन कारावास की सजा काट रहा है और 2019 के एक आपराधिक मामले में कथित संलिप्तता के कारण उसे उच्च सुरक्षा वाली जेल (इटावा में) में रखा गया है।
सरकारी अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि जेल अधिकारी कानून के अनुसार याची की शिकायत की जांच करेंगे। हालांकि, कोर्ट ने कैदी की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के स्पष्ट निर्देशों के साथ जेल अधीक्षक को यह भी निर्देश दिया कि जेल के अंदर कैदियों की सुरक्षा के लिए अपनाए जा रहे नियमित सुरक्षा उपाय जारी रहेंगे।
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