जांच में खुलासा: शाहजहांपुर में ऑफिस स्टाफ को पेंशन के काम से रखा गया दूर, जानिए पूरा मामला

पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी ने सिर्फ अपने चहेतों से लिया वृद्धावस्था पेंशन का काम

जांच में खुलासा: शाहजहांपुर में ऑफिस स्टाफ को पेंशन के काम से रखा गया दूर, जानिए पूरा मामला

शाहजहांपुर, अमृत विचार। वृद्धावस्था पेंशन घोटाले की जांच में एक और चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। पता चला है कि वृद्धावस्था पेंशन घोटाला करने के लिए पूर्व समाज कल्याण अधिकारी ने ऑफिस स्टाफ को पेंशन काम से अलग कर दिया था। उन्होंने पेंशन संबंधी कार्य सिर्फ अपने विश्वास पात्र प्राइवेट लोगों से करा रहे थे। पूर्व समाज कल्याण अधिकारी ने ऑफिस के अलावा अपने आवास पर भी पेंशन संबंधी कार्य करवाया। ऑफिस स्टाफ को शुरू से ही पूर्व अधिकारी का यह रवैया अखर रहा था, लेकिन अनुशासन के चलते वह कुछ कह नहीं पाए।

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समाज कल्याण विभाग के वृद्धावस्था पेंशन घोटाले की जांच रिपोर्ट अब तक सामने नहीं आई थी। केस दर्ज होने के बाद जांच रिपोर्ट सामने आई है। जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि जांच के दौरान टीम ने वरिष्ठ सहायक, उर्दू अनुवादक, छात्रावास अधीक्षक आदि के बयान लिए थे।

अपने बयानों में वरिष्ठ सहायक व उर्दू अनुवादक नवेद खां, वरिष्ठ सहायक नरेंद्र देव, छात्रावास अधीक्षक सौरभ कुमार सिंह, छात्रावास अधीक्षक श्रवण सिंह राना, समाज कल्याण पर्यवेक्षक महेंद्र फौजिया, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भुवेश्वर सिंह, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी सियाराम, चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी दयाराम, कंप्यूटर आपरेटर सौरभ कुमार सिंह, कंप्यूटर आपरेटर प्रियांशु शर्मा ने लिखित में बताया था कि पूर्व समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार वृद्धावस्था पेंशन का सारा कार्य अपनी देख-रेख में जिला समाज कल्याण अधिकारी कार्यालय और अपने आवास पर कराते थे।

वृद्धावस्था पेशन योजना पटल सहायक के पास डिजिटल हस्ताक्षर व पासवर्ड कभी नहीं रहा। वृद्धावस्था पेंशन का कार्य कराने के लिए तत्कालीन समाज कल्याण अधिकारी ने अलग से डिजिटल हस्ताक्षर बनवाये थे और सिर्फ उन्हीं के पास थे। उन्होंने विशेष रूप से चार कंप्यूटर ऑपरेटर पेंशन संबंधी कार्य करने के लिए रखे थे। जिनमें विशाल सक्सेना, सूरज, साकिब और खुशाल शामिल थे।

जब मामले की जांच शुरू हुई तो समाज कल्याण विभाग शाहजहांपुर की ओर से जांच टीम को वृद्धावस्था पेंशन से संबंधित अभिलेख, नवीन स्वीकृत पेंशनरों के आवेदन पत्र और मुख्य विकास अधिकारी या जिलाधिकारी की ओर से अनुमोदित सूची में से कुछ भी नहीं मिला था।

आधार प्रमाणीकरण से संबंधित कोई भी अभिलेख या पत्रावली नहीं दी गई। छात्रावास अधीक्षक सौरभ कुमार सिंह ने जांच टीम को बताया था कि उन्हें नवीन स्वीकृति, खाता संशोधन व आधार प्रमाणीकरण की कोई भी पत्रावली नहीं दी गई। तत्कालीन जिला समाज कल्याण अधिकारी अपने रखे कंप्यूटर ऑपरेटरों से आवास व कार्यालय पर कार्य कराकर अपने पास सभी चीजें रखते थे।

केस दर्ज होते ही भूमिगत हुए घोटालेबाज
समाज कल्याण विभाग में हुए जिले के सबसे बड़े वृद्धावस्था पेंशन घोटाले में प्रशासन की सख्ती के चलते घोटालेबाज भूमिगत हो गए हैं। अब तक एक आरोपी समाज कल्याण विभाग या विकास भवन में घूमते हुए देखा जा रहा था, लेकिन गैर जमानतीय धाराओं में रिपोर्ट दर्ज होने के बाद से वह भी लापता हो गया है।

पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी महीनों से लापता हैं। हालांकि सभी पर गिरफ्तारी की तलवार लटक गई है। कभी भी किसी की भी गिरफ्तारी हो सकती है। केस के विवेचक हरेंद्र सिंह ने जांच शुरू कर दी है। धारा 420, 467, 468 और 471 के तहत समाज कल्याण अधिकारी वंदना सिंह की ओर से सदर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

कानून के जानकारों का कहना है कि यह धाराएं गैर जमानतीय हैं यानी इनमें बाहर से जमानत नहीं दी जा सकती है। आरोपियों को जेल जाना ही होगा और उसके बाद ही जमानत मिल पाएगी। ऐसे में सभी आरोपियों का जेल जाना लगभग तय माना जा रहा है। अधिकारियों का कहना है कि मामले में सबूतों की भी कोई कमी नहीं है। सीधे-सीधे दस्तावेजी साक्ष्य आरोपियों के खिलाफ हैं। ऐसे में सभी आरोपी दहशत में हैं।

बचने के लिए हाथ-पैर मार रहे हैं। कुछ आरोपियों ने अरेस्ट स्टे के लिए जुगत लगाना शुरू कर दिया है। जबकि कुछ सफेदपोश और बड़े अधिकारियों से संपर्क कर अपने निर्दोष होने की दुहाई दे रहे हैं। फिलहाल आरोपियों को कहीं से कोई राहत मिलती हुई दिखाई नहीं दे रही है। माना जा रहा है कि जल्द आरोपियों की गिरफ्तारी होगी। इसके अलावा शेष आठ आरोपी भी जल्द धरे जाएंगे।

20 से ज्यादा अन्य लोगों के भी इस केस में शामिल होने की आशंका है। घोटाले के पीछे बड़ा रैकेट बताया जा रहा है और प्रशासन चाहता है कि सभी घोटालेबाज सलाखों के पीछे हों। सबसे पहले पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी राजेश कुमार की गिरफ्तारी होने की बात कही जा रही है। उनका फोन घोटाला उजागर होने के बाद से बंद है। पूर्व जिला समाज कल्याण अधिकारी के कुछ चहेते भी जिले में हैं। यह लोग आरोपियों की पैरवी करने की दिशा में प्रयासरत बताए जाते हैं।

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