Chitrakoot News: दुष्कर्म में दोषी को 10 साल कठोर कारावास, कोर्ट ने 26 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया

चित्रकूट में दुष्कर्म में दोषी को 10 साल कठोर कारावास।

Chitrakoot News: दुष्कर्म में दोषी को 10 साल कठोर कारावास, कोर्ट ने 26 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया

चित्रकूट में दुष्कर्म में दोषी को 10 साल कठोर कारावास। कोर्ट ने 26 हजार रुपये जुर्माना भी लगाया। जिला जज विष्णु कुमार शर्मा ने निर्णय सुनाया।

चित्रकूट, अमृत विचार। घर में घुसकर विधवा महिला से दुराचार के दोषी को जिला जज विष्णु कुमार शर्मा ने 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई है। दोषी को कोर्ट ने 26 हजार रुपये अर्थदंड भी दिया है। पीड़िता की मौत हो चुकी है और अर्थदंड की 50 फीसदी धनराशि उसकी बेटी को दी जाएगी। 

जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी श्यामसुंदर मिश्रा ने बताया कि 22 अगस्त 2021 को पीड़िता गांव में हो रही रामलीला देखकर घर लौटी थी। अर्द्धरात्रि को वह बेटी के साथ सो रही थी कि इसी दौरान भरतकूप क्षेत्र के एक गांव निवासी चंद्रपाल त्रिपाठी पुत्र छैला उर्फ शिवचरण घर में घुसा और बिजली बंद करके उसके साथ दुराचार किया। शोर करने पर गालीगलौज की और धमकी दी।

घटना के बाद आरोपी का मोबाइल पीड़िता के घर में ही छूट गया। इस वजह से वह दोबारा फिर से उसके घर पहुंचा और धमकी देकर मारपीट की। पीड़िता की तहरीर के आधार पर पुलिस ने तीन दिन बाद इस मामले में रिपोर्ट दर्ज करने के बाद चिकित्सीय परीक्षण कराया और न्यायालय में आरोप पत्र दाखिल किया था।

न्यायालय में बयान के बाद संदिग्ध परिस्थितियों में पीड़िता की मौत हो गई थी। बचाव और अभियोजन पक्ष के अधिवक्ताओं की दलीलें सुनने के बाद जिला जज विष्णु कुमार शर्मा ने इस मामले में निर्णय सुनाया। दोषसिद्ध चंद्रपाल त्रिपाठी को 10 वर्ष कठोर कारावास की सजा सुनाई। 26 हजार रुपये अर्थदंड दिया। कोर्ट ने अर्थदंड की धनराशि में से 50 फीसदी उसकी बेटी को देने के आदेश दिए हैं। 

पीडिता ने दबाव में बदल दिए थे बयान 

लगभग दो वर्ष पहले हुई इस घटना में न्यायालय ने त्वरित न्याय देकर दोषी को जेल भेजा है। इस चर्चित मामले में दुष्कर्मी को सजा मिलने से लोगों का न्यायपालिका पर भरोसा और बढ़ा है। जिला शासकीय अधिवक्ता श्यामसुंदर मिश्रा ने बताया कि इस मामले में रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद पुलिस को दिए गए बयान और न्यायालय में दिए गए बयान में पीडिता ने आरोपी पर गंभीर आरोप लगाए थे।

इसके बाद आरोपी के दबाव में दोबारा हुए बयान में बयान बदलते हुए उसको पहचानने से इंकार कर दिया था। इस दौरान संदिग्ध स्थितियों में पीडिता की मृत्यु भी हो गई थी। इसकी जानकारी कर्वी कोतवाली पुलिस से मिलने के बाद न्यायालय ने दोनों पक्षों की बहस के बाद यह माना कि पीडिता ने सत्य एफआईआर दर्ज कराई गई थी।