पटना कॉलेज: इमारतों की मरम्मत के साथ विद्युत तार प्रणाली का रखा जाए ध्यान
पटना। पटना कॉलेज की सदियों पुरानी इमारत के एक हिस्से में आग लगने के कुछ दिन बाद कुछ इतिहासकारों और विद्वानों ने कहा कि इस ऐतिहासिक स्थान और अन्य ऐसे भवनों को उचित विद्युत तार प्रणाली पर ध्यान देते हुए बहाल किया जाना चाहिए। इनमें से अनेक ने चिंता जताते हुए कहा कि पटना में ये ऐतिहासिक इमारतें अनदेखी, समय पर रख-रखाव नहीं होने आदि के कारण धीरे-धीरे जीर्ण-शीर्ण होती जा रही हैं।
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पटना कॉलेज के 160 साल पुराने प्रशासनिक ब्लॉक के वेस्ट विंग में 28 मार्च को आग लग गयी थी जिसमें भूतल पर एक कमरा जलकर खाक हो गया था। इस कमरे में 25 डेस्कटॉप कम्प्यूटर, अनेक किताब और दस्तावेज रखे थे। पटना कॉलेज के प्राचार्य तरुण कुमार ने ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘शॉर्ट सर्किट से आग लगने का संदेह है जिसमें पर्दों ने आग पकड़ ली और पड़ोस के कमरे तक यह पहुंच गयी।
जिस कमरे में आग लगी, वह बीसीए पाठ्यक्रम से जुड़ा था। पुराने दरवाजे और लकड़ी की बीम आंशिक रूप से जल गये।’’ उन्होंने कहा कि 30 से 35 लाख रुपये की संपत्ति जलकर खाक हो गयी। पटना कॉलेज की स्थापना 1863 में की गयी थी और इस साल नौ जनवरी को इसके 160 साल पूरे हुए।
पटना विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति आर बी पी सिंह ने कहा, ‘‘कॉलेज की सीढ़ियों समेत कॉलेज की मुख्य इमारत के निर्माण में बहुत लकड़ी का इस्तेमाल किया गया है। अगर किसी की नजर धुएं पर नहीं जाती तो बहुत नुकसान हो सकता था।’’ उन्होंने और अन्य कई सेवानिवृत्त प्रोफेसरों, पूर्व छात्रों और छात्रों ने आरोप लगाया कि कॉलेज के प्रशासनिक ब्लॉक में उचित विद्युत वायरिंग नहीं है और ना ही उचित अग्निशमन प्रणाली है।
मुंबई विश्वविद्यालय के दीक्षांत सभागार और कुलपति कार्यालय की मरम्मत का काम कर चुकी मुंबई की आर्किटेक्ट आभा नारायण लांबा ने कहा, ‘‘ऐतिहासिक इमारतें हमारी बौद्धिक और स्थापत्य विरासत हैं और हमें गौरव के साथ इनका संरक्षण करना चाहिए।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब हम मुंबई विश्वविद्यालय की परियोजना पर काम कर रहे थे तो हमने ढांचे की मरम्मत और बिजली के तारों के प्रबंधन की प्रणाली, दोनों पर ध्यान दिया। कई ऐतिहासिक इमारतों को शॉर्ट सर्किट की वजह से तरह-तरह का नुकसान हुआ है। पटना कॉलेज जैसी पुरानी इमारत में भी विशेषज्ञों की देखरेख में दोनों पर ध्यान देने की जरूरत है।’’
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