नैनीतालः नदियों में मलबा डालने के खिलाफ याचिका पर सुनवाई, हाईकोर्ट ने 6 सप्ताह में मांगा जवाब
नैनीताल, अमृत विचार। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने चारधाम मार्गों के चौड़ीकरण व कर्णप्रयाग रेलवे पटरी के निर्माण का मलबा, बोल्डर व अन्य वेस्टेज सामग्री को नदियों में डाले जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मुख्य न्यायाधीश विपिन सांघी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार, केंद्र सरकार, सड़क निर्माण कंपनी व रेलवे विभाग को नोटिस जारी कर 6 सप्ताह में जवाब दाखिल करने को कहा है। मामले की सुनवाई के लिए अदालत ने 2 अगस्त की तिथि नियत की है।
मामले के अनुसार, दिल्ली निवासी आचार्य अजय गौतम ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि चारधाम यात्रा मार्गों में निर्माण के दौरान ब्लास्टिंग और कटिंग का मलुबा सीधे नदियों में डाला जा रहा है, जिससे नदियों के अस्तित्व पर खतरा पैदा होने के साथ ही पानी भी दूषित हो रहा है। याचिकाकर्ता का कहना है कि यात्रा के दौरान कई बार यात्रा को रोककर पहाड़ी में सड़क कटिंग व ब्लास्टिंग की जाती है जो पूर्णतः असुरक्षित है।
ब्लास्टिंग के दौरान पीक सीजन में इनके द्वारा डेढ़ से दो लाख लोगों को रोका जाता है। उसी दौरान सड़क, हाइड्रोपावर व रेलवे लाइन बनाने वाली कम्पनी बिना सर्वे के आये दिन ब्लास्टिंग कर रही है, जिसकी वजह से जोशीमठ के करीब 600 और कर्णप्रयाग के करीब 50 घरों में दरारें आ चुकी हैं। जनहित याचिका में कहा गया कि इस मामले में पहले विस्थापन की कार्यवाही की जाए।
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