Prayagraj News : अनुशासनात्मक मामला लंबित रहने के दौरान पेंशनभोगी पूर्ण पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान का हकदार नहीं
प्रयागराज, अमृत विचार : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अनुशासनात्मक मामला लंबित रहने के दौरान किसी पेंशनभोगी की पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान के मामले में महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि अनुशासनात्मक या न्यायिक कार्यवाही के समापन या उस पर अंतिम आदेश पारित होने से पूर्व सरकारी सेवक यानी पेंशनभोगी को पूर्ण पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान करना उचित नहीं है।
कोर्ट ने वर्तमान मामले में मांगी गई राहत पर विचार करते हुए कहा कि अनुशासनात्मक कार्यवाही के लंबित रहने के दौरान कर्मचारी अनंतिम पेंशन का हकदार है, लेकिन पूर्ण पेंशन और ग्रेच्युटी का भुगतान उसे नहीं किया जा सकता। उक्त आदेश न्यायमूर्ति विवेक कुमार बिड़ला और न्यायमूर्ति डॉ.योगेंद्र कुमार श्रीवास्तव की खंडपीठ ने बुद्ध प्रकाश सचान की विशेष अपील को खारिज करते हुए पारित किया। याची ने उरई, जालौन के उपनिदेशक (कृषि विकास) द्वारा जारी पत्र को रद्द करने की मांग की थी, जिसमें याची को देय ग्रेच्युटी में से 4,46,880 रुपए की राशि रोक ली गई थी, साथ ही याची ने आरोप पत्र को भी चुनौती दी थी।
याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि सेवा में रहते हुए याची के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही शुरू नहीं की गई थी। सिविल सेवा विनियमों के अनुच्छेद 351-ए के तहत राज्यपाल की मंजूरी के बिना याची के खिलाफ कोई अनुशासनात्मक कार्यवाही उसकी सेवानिवृत्ति के बाद शुरू नहीं की जा सकती, लेकिन रिट कोर्ट ने मामले पर विचार करते हुए माना कि याची के पास चार्जशीट को रद्द करने तथा ग्रेच्युटी शेष के भुगतान के संबंध में कोई मामला नहीं बनता।
ऐसी स्थिति में रिट कोर्ट ने याची को अनंतिम पेंशन का हकदार माना, जो उसे मिल रही है। इसी आदेश को वर्तमान अपील में चुनौती दी गई थी। हालांकि याची के अधिवक्ता ने हाईकोर्ट के समक्ष तर्क देते हुए कहा कि याची की ग्रेच्युटी राशि को रोकना पूरी तरह से अवैध है और एकल न्यायाधीश ने रिट याचिका में मांगी गई राहत देने से इनकार करके गलती की है, लेकिन कोर्ट ने एकल न्यायाधीश के फैसले को बरकरार रखते हुए याची को अनुशासनात्मक कार्यवाही के समापन तक केवल अनंतिम पेंशन का ही हकदार माना।