Dillon
साहित्य 

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले…

सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन से पहले… फैज़ अहमद फ़ैज़ एक पाकिस्तानी कवि और बुद्धिजीवी थे। उनकी कविता का पाकिस्तान के सांस्कृतिक इतिहास पर काफी प्रभाव पड़ा। उन्होंने उर्दू और हिंदी दोनों भाषाओं में भी लिखा, जो दक्षिण एशिया के अधिकांश लोगों द्वारा बोली जाती है। फैज़ अहमद फ़ैज़ की ये कविता सितम की रस्में बहुत थीं लेकिन, न थी तेरी अंजुमन …
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