रामपुर : नम आंखों के बीच कर्बला में ताजिए किए सुपुर्द-ए-खाक, पूरे दिन चला मजलिस मातम का सिलसिला

रामपुर : नम आंखों के बीच कर्बला में ताजिए किए सुपुर्द-ए-खाक, पूरे दिन चला मजलिस मातम का सिलसिला

रामपुर, अमृत विचार। 10 मोहर्रम को नम आंखों के बीच कर्बला में ताजिए सुपुर्दे खाक किए गए। अजादारों ने छुरियों का मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया। मंगलवार को पूरे दिन मजलिस मातम का सिलसिला चलता रहा। इमामबाड़ा खासबाग से जरीह का जुलूस निकला जोकि, सीआरपीएफ होते हुए आगापुर स्थित कर्बला पहुंचा। जरीह के …

रामपुर, अमृत विचार। 10 मोहर्रम को नम आंखों के बीच कर्बला में ताजिए सुपुर्दे खाक किए गए। अजादारों ने छुरियों का मातम कर खुद को लहूलुहान कर लिया। मंगलवार को पूरे दिन मजलिस मातम का सिलसिला चलता रहा। इमामबाड़ा खासबाग से जरीह का जुलूस निकला जोकि, सीआरपीएफ होते हुए आगापुर स्थित कर्बला पहुंचा। जरीह के जुलूस को पुलिस के जवानों द्वारा सलामी दी गई।

जुलूस में स्थानीय अंजुमनों ने नोहाख्वानी की। इससे पहले इमामबाड़ा खासबाग में मौलाना अली मोहम्मद नकवी ने मजलिस को खिताब किया। इमाबाड़ा खासबाग जनाना में शबीहे ताबूत निकला और मजलिस हुई। शाम को कर्बला में शामे गरीबा की मजलिस हुई।

नवासा-ए-रसूल शहीदे कर्बला हजरत इमाम हुसैन को 10 अक्तूबर 680 ई. यजीद की फौज ने शहीद कर दिया। इमामबाड़ा खासबाग में मंगलवार की सुबह आठ बजे हुई मजलिस को खिताब करते हुए मौलाना अली मोहम्मद नकवी ने कहा कि हजरत इमाम हुसैन ने इंसानियत को बचाने के लिए अपनी और अपने 72 साथियों की कुर्बानी कर्बला के मैदान में दे दी। यजीद की फौज ने सात मोहर्रम से इमाम हुसैन और उनके साथियों पर पानी बंद कर दिया था। नहरे फरात पर यजीद की फौज के सिपहसालार इब्नेजाद ने पहरा बैठा दिया था।

अस्र की नमाज के वक्त शिम्र ने कुंद खंजर से हजरत इमाम हुसैन के सिर को उनके तन से जुदा कर दिया। इसके बाद उनकी लाश पर यजीद की फौज ने घोड़े दौड़ाए इससे पहले इमाम हुसैन को तीर, तलवार और भालों से बेशुमार जख्म दिए गए। कर्बला के मैदान में हजरत इमाम हुसैन के छह माह के अली असगर के गले पर यजीद के फौज के तीरंदाज हुरमुला ने त्रिफला तीर चलाकर शहीद कर दिया। इमाम हुसैन बच्चे को मैदान-ए-जंग में लेकर आए थे कि यह बच्चा तीन दिन से प्यास है इसे पानी पिला दो।

इससे पहले हुसैनी लश्कर के सिपहसालार सक्काए सकीना फातेहे फरात हजरत अब्बास अलमदार के दोनों बाजू काटकर शहीद कर दिया गया। हजरत इमाम हुसैन के 18 साल के कड़ियल जवान हजरत अली अकबर के सीने में बरछी मारकर शहीद कर दिया गया। हजरत इमाम हुसैन के दो भांजों ओनो-मोहम्मद को कर्बला के मैदान में शहीद किया गया। यजीद की फौज को छोड़कर आए हुर और उनके बेटों को शहीद किया गया। शहीदाने कर्बला की शहादत सुनकर अजादार अपना सिर पीटने लगे और जारो-कतार रोए। इसके बाद इमामबाड़ा खासबाग से जरीह का जुलूस बरामद हुआ।

जरीह के जुलूस में नवाब काजिम अली खां उर्फ नवेद मियां समेत काफी तादाद में अजादार मौजूद रहे। जरीह के जुलूस में आगे-आगे नन्हे-मुन्ने अजादार अलम थामे चल रहे थे। उनके पीछे मातम करते अजादार चल रहे थे। जरीह का जुलूस राहे जुल्फिकार, हाइवे, रेलवे क्रासिंग, सीआरपीएफ होता हुआ आगापुर स्थित कर्बला पहुंचा। जुलूस में असलम महमूद और इफ्तेखार महमूद ने यह नोहा पढ़ा- सुगरा मदीना लुट गया-बाबा तेरा मारा गया, सुगरा मदीना लुट गया। जुलूस के पक्की कर्बला में पहुंचने पर अजादारों ने छुरियों का मातम किया इस दौरान या हुसैन या अली मौला की सदाओं से फिजा गूंज उठी। जरीह को पक्की कर्बला में नम आंखों के बीच सुपुर्द-ए-खाक करउ दिया गया।

अकीदतमंद इमामबाड़ों से सुबह से कर्बला लेकर पहुंचे ताजिए
अकीदतमंद इमामबाड़ों से सुबह से ताजिए लेकर कर्बला पहुंचे और कच्ची कर्बला में ताजियों को सुपुर्द-ए-खाक किया। शहर से मोम का ताजिया कर्बला पहुंचा। मोम का ताजिया कोठी खासबाग से निकले मुख्य जुलूस में शामिल हो गया। मोम का ताजिया इतना प्रसिद्ध है कि शहर के इस मोहल्ले का नाम ही मोम का ताजिया हो गया है।

कोठी खासबाग जनाने इमामबाड़े में बरामद हुआ शबीहे ताबूत
कोठी खासबाग स्थित जनाना इमामबाड़े में शबीहे ताबूत बरामद हुआ इससे पहले मौलाना अली मोहम्मद नकवी ने मजलिस को खिताब किया। कहा कि इमाम हुसैन ने कर्बला के मैदान में अपना भरा घर लुटाकर नाना के दीन को बचा लिया। इमाम हुसैन ने यजीद की बैअत कुबूल नहीं की। अपने छह महीने के बच्चे अली असगर को भी कुर्बान कर दिया। मजलिस के बाद ताबूत बरामद हुआ और वफा अकबर ने नोहा पढ़ा। मजलिस में कमल रिजवी, नदीम अकबर, मसूद जैदी, अली हैदर जैदी, मसूद जैदी, हनी जैदी, लकी जैदी, आलम अली,मुन्ने मियां,राशिद ऐजाज, सैयद अली जैदी, मिनहाल अकबर, गाजी अकबर और वफा अकबर मौजूद रहे।

ये भी पढ़ें:- ताइवान ने शुरू किया सैन्य अभ्यास, कहा- चीन करना चाहता है समुद्री क्षेत्रों पर कब्जा