लखनऊ : कोरोना काल में साथ छोड़ गया बेटा, वायरस से ज्यादा प्रताड़ित कर रही बैंक की पॉलिसी, जानिए इस बुजुर्ग की कहानी

लखनऊ । बुढ़ापे की लाठी एक झटके में हाथ से छूट गयी, 30 साल का जवान बेटा अपने बुजुर्ग पिता का साथ छोड़ बिना कुछ कहे इस दुनिया से रुख्सत हो गया। बेटे को क्या हुआ क्यों हुआ इस बारे में बुजूर्ग पिता को कुछ नहीं मालूम,बस इतना याद है कि कोरोना वायरस का दौर …
लखनऊ । बुढ़ापे की लाठी एक झटके में हाथ से छूट गयी, 30 साल का जवान बेटा अपने बुजुर्ग पिता का साथ छोड़ बिना कुछ कहे इस दुनिया से रुख्सत हो गया। बेटे को क्या हुआ क्यों हुआ इस बारे में बुजूर्ग पिता को कुछ नहीं मालूम,बस इतना याद है कि कोरोना वायरस का दौर चल रहा था, अचानक बेटे की तबीयत खराब हुई और कुछ समय बाद उसकी मौत हो गयी। मौत के कारण का भी पता नही चल सका।
बुजुर्ग जाफर हुसैन सिद्दीकी बताते हैं
बुजुर्ग जाफर हुसैन सिद्दीकी बताते हैं कि जब वह जिंदा था, तो छोटी सी दुकान चलाकर परिवार का जीवन यापन किया करता था,लेकिन उसके जाने के बाद आर्थिक स्थित ठीक नहीं है, किसी से कुछ कह भी नहीं सकते, एक बैंक से इंश्योरेंस का क्लेम मिलना था, बेटे ने ही यह जीवन बीमा कराया था, लेकिन बैंक की तरफ से कोई सहुलियत नहीं मिल रही है, एक साल से ज्यादा का वक्त हो गया क्लेम अभी तक नहीं मिल पाया, बैंक की पॉलिसी प्रताड़ित कर रही है। अब कह रहे हैं कि आने में देर कर दी,क्लेम लेना है तो उपभोक्ता फोरम जाइये, तभी मिलेगा, यह हाल तब है जब अखबारों में तीन महीने के भीतर क्लेम देने का दावा किया जाता है।
जाफर हुसैन सिद्दीकी बताते हैं कि उनका बेटा इस्माइल घर पर ही छोट सी दुकान चलाता था, साल 2015 में उसने प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना के तहत अपना बीमा कराया था, जानकीपुरम स्थित इंण्डियन बैंक की शाखा में उसका खाता था, साल 2020 में 28 जनवरी के दिन इस्माइल की अचानक मौत हो गयी। जो पैसा बैंक में जमा था,वह तो मिल गया,लेकिन क्लेक का पैसा नहीं मिला,बैंक के हिसाब से हमने सभी कागजी कार्रवाई कर ली,उसके बाद भी क्लेम का पैसा नहीं मिला। अब बैक वाले कह रहे हैं कि मुकदमा करो तब पैसे मिलेंगे।
पढ़ें-बहराइच : डायना और गंगाकली की मेहनत हुई सफल, पिंजड़े में कैद हुआ बाघ, बाघिन फरार