विधानसभा चुनाव 2022: जनता किसको बनाएगी नवाबगंज का नवाब ?

बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की नवाबगंज विधानसभा पीलीभीत से सटी हुई सीट है। इस सीट पर सबसे पहले 1952 में चुनाव हुआ था। 2017 के चुनाव में भाजपा के बाहुबली उम्मीदवार केसर सिंह गंगवार ने यहां से जीत हासिल कर विधायक का ताज अपने सिर लिया था। मगर उनका कोरोना काल में निधन …
बरेली। उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की नवाबगंज विधानसभा पीलीभीत से सटी हुई सीट है। इस सीट पर सबसे पहले 1952 में चुनाव हुआ था। 2017 के चुनाव में भाजपा के बाहुबली उम्मीदवार केसर सिंह गंगवार ने यहां से जीत हासिल कर विधायक का ताज अपने सिर लिया था। मगर उनका कोरोना काल में निधन हो गया।
तब से यह सीट खाली है। अब बरेली में 14 फरवरी को फिर मतदान है। नतीजों का ऐलान 10 मार्च को किया जाएगा।बतातें चलें कि इस सीट पर ज्यादातर कुर्मी बिरादरी के उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। संतोष गंगवार ने भी 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर जीत हासिल की थी। उन्होंने समाजवादी पार्टी के भगवत शरण गंगवार को 167282 वोट से हराया था।

नवाबगंज में सबसे ज्यादा मुस्लिम वोटर
नवाबगंज विधानसभा में मुस्लिम वोटरों का बहुमत है। यहां पर 95 हजार मुस्लिम, 75 हजार कुर्मी, 68 हजार दलित, 27 हजार कश्यप, 15 हजार मौर्य और 16 हजार किसान वोटर हैं। इस सीट के सबसे बड़ा मुद्दा है कि यहां पर रोजगार और उद्योग के अवसर नहीं है। नवाबगंज में ओसवाल शुगर मिल के अलावा कोई बड़ा उद्योग नहीं है। शिक्षा व्यवस्था भी ज्यादा अच्छी नहीं है।
क्या है नवाबगंज विधानसभा का राजनीतिक समींकरण?
1977 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चेतराम गंगवार ने जनता पार्टी के बलदेव राज को हरा कर इस सीट का प्रतिनिधित्व किया था। चेतराम इस सीट से 1985 तक विधायक रहे।
इसके बाद 1989 में बीजेपी का इस सीट पर पहली बार खाता खुला और गेंदनलाल गंगवार ने यहां से ऐतिहासिक जीत दर्ज की। इसके बाद राम लहर के चलते 1991 और 1993 में बीजेपी से भगवत शरण गंगवार ने यहां से लगातार दो बार विधायकी हासिल की। इसके बाद 1996 में सपा के उम्मीदवार छोटेलाल गंगवार ने भगवत शरण को करारी हार दी।

इसके बाद पार्टी से नाखुश भगवत शरण गंगवार ने 2002 में भाजपा से पल्ला झाड़ सपा का दामन थाम लिया और 2002 से 2012 तक लगातार तीन बार अपना जलवा कायम कर इस सीट पर कब्जा किया। 2012 में सपा सरकार ने भगवत को मंत्री भी बना दिया।
भगवत ने 67 हजार से अधिक हासिल किए थे वोट
2012 के चुनाव में भगवत शरण गंगवार ने सपा के टिकट से 67022 वोट हासिल किए थे, वहीं बसपा से उषा गंगवार ने दूसरे नंबर पर रहते हुए 49303 वोट प्राप्त किए। पीईसीपी के मो. इस्लाम ने तीसरे नंबर पर रहते हुए यहां से 38415 वोट लिए, और BJP के नरोत्तम दास तो कुल 20175 वोटों पर ही सिमट गए।
2017 की BJP लहर ने तोड़ी सभी की कमर
2017 में आई भाजपा की लहर ने सभी पार्टियों की कमर तोड़ दी और बीजेपी से बाहुबली उम्मीदवार केसर सिंह गंगवार नें इस सीट के सभी प्रत्याशियों को 93711 वोट हासिल करते हुए पीछे छोड़ दिया। वहीं सपा के भगवत शरण ने रनरअप रहते हुए कुल 54569 वोट प्राप्त किए और आईईएमसी से कैंडिडेट शाहिला ताहिर मात्र 36761 वोटों पर ही थम गईं।

अब देखना ये है की इस बार नवाबगंज विधानसभा सीट का नवाब कौन बनेगा क्योंकी इस बार BJP ने यहां से एमपी आर्या को उम्मीदवार चुना है। वहीं सपा ने यहां से एक बार फिर भगवत शरण गंगवार पर भरोसा जताया है, तो कांग्रेस ने यहां से उषा गंगवार को कैंडिडेट चुना है और बसपा ने यहां से यूसुफ खान को मैदान में उतारा है।
केसर सिंह की पत्नी है उषा गंगवार
बता दें कि उषा गंगवार भाजपा के पूर्व विधायक केसर सिंह गंगवार की पत्नी हैं। पहले वे भाजपा से टिकट मांग रहीं थी मगर उनको पार्टी ने टिकट नहीं दिया। जिसके बाद वे कांग्रेस के साथ जुड़ गईं।

देखा जाए तो इसका असर कहीं ना कहीं BJP पर पड़ सकता है। बहरहाल ये तो आने वाला वक्त ही बताएगा की जनता किसे अपना विधायक चुनती है। फिलहाल सभी प्रत्याशी अपने-अपने वादों के साथ जनता के बीच जोर शोर से प्रचार करने में जुटे हुए हैं।
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