बरेली: बस अड्डा निर्माण को 300 पेड़ों की बलि, पर्यावरण प्रेमी विरोध में उतरे
बरेली, अमृत विचार। मिनी बाईपास पर केंद्रीय कारागार की भूमि पर प्रस्तावित रोडवेज बस अड्डा का निर्माण शुरू कराने के लिए शनिवार को हरे-भरे पेड़ों पर वन निगम की आरी चली तो हल्ला मच गया। पर्यावरण प्रेमियों ने पेटों के काटने का विरोध शुरू कर दिया। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि विकास के नाम …
बरेली, अमृत विचार। मिनी बाईपास पर केंद्रीय कारागार की भूमि पर प्रस्तावित रोडवेज बस अड्डा का निर्माण शुरू कराने के लिए शनिवार को हरे-भरे पेड़ों पर वन निगम की आरी चली तो हल्ला मच गया। पर्यावरण प्रेमियों ने पेटों के काटने का विरोध शुरू कर दिया। पर्यावरण प्रेमियों का कहना है कि विकास के नाम पर पेड़ों की बलि चढ़ायी जा रही है। ये पेड़ ऑक्सीजन देने वाले थे। कोविड काल में ऑक्सीजन की कमी से देशभर में हजारों जानें गयी हैं। बरेली में पेड़ों को काटने से पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है। विरोध शुरू होने तक वन निगम के कर्मचारी सागौन के हरे 300 से अधिक पेड़ काट चुके थे।
पर्यावरण प्रेमियों ने कहा कि हाल ही में केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के उप निदेशक डा. डीके सोनी बरेली आए थे। उन्हें पता चला कि जिले में वन क्षेत्र महज 0.01 फीसद है तो वह भी हैरान रह गए थे। बावजूद इसके बस अड्डा निर्माण के लिए 789 हरे पेड़ों को काटने के लिए वन विभाग ने अनुमति दे दी। बोले- जिस तरह से बरेली विकास प्राधिकरण डोहरा रोड पर रामगंगानगर परियोजना के आड़े आ रहे पेड़ों को ट्रांसलोकेट करवा रहा है, उसी तरह से यहां के पेड़ों को भी ट्रांसलोकेट किया जा सकता है। इससे पहले भी जिलाधिकारी नितीश कुमार ने लालफाटक ओवरब्रिज की राह में आ रहे 50 से अधिक पेड़ों को ट्रांसलोकेट कराया था।
हालांकि, वन विभाग के अधिकारियों का तर्क है कि पेड़ों को ट्रांसलोकेट नहीं किया जा सकता है। सागौन के पेड़ काफी नाजुक होते हैं, इन्हे व्यावसायिक मकसद से लगाया जाता है। ज्यादा पानी लगने या फिर झटका लगने से भी खराब हो जाता है। लिहाजा इन पेड़ों को ट्रांसलोकेट करना मुमकिन नहीं है। बता दें कि 2.285 हेक्टेयर भूमि पर बस अड्डा का निर्माण किया जाना है। बस अड्डे का निर्माण शुरू न होने को लेकर मंडलायुक्त समीक्षा में नाराजगी भी जता चुके हैं। तीन दिन पहले ही मंडलायुक्त ने समीक्षा कर जल्द पेड़ों का कटान कराकर भूमि खाली करने के निर्देश अधिकारियों को दिए थे।
बीडीए ने पर्यावरण का रखा ख्याल, 650 पेड़ों को करा रहा ट्रांसलोकेट
बरेली विकास प्राधिकरण डोहरा रोड पर रामगंगा नगर आवासीय परियोजना बना रहा है। बड़ा बाईपास तक डोहरा रोड को भी चौड़ा किया जाना है। करीब साढ़े तीन किलोमीटर लंबी इस सड़क के किनारे 650 से अधिक पेड़ हैं, जिनको यहां से हटाकर मंझा ग्राम्य वन में लगाया जाना है। अब तक काफी संख्या में पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जा चुका है।
वन विभाग के तर्क पर क्या कहते हैं विशेषज्ञ
वन विभाग के अधिकारी कहते हैं कि सागौन के पेड़ों को ट्रांसलोकेट नहीं किया जा सकता। जबकि विशेषज्ञों की राय अलग है। पर्यावरणविद डा. आलोक खरे का कहना है कि सागौन के पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जा सकता है। जिसके काफी सारे उदाहरण भी मौजूद हैं। हालांकि सागौन जैसी प्रजातियों के पेड़ कैश क्राप के तौर पर लगाए जाते हैं लिहाजा इनके व्यावसायिक इस्तेमाल की उम्र 25 साल है। अगर सागौन का पेड़ अपने 25 वर्ष पूरे कर चुका है तो उसको काटा जा सकता। मगर इससे कम आयु के पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जा सकता है। इन पेड़ों को साल 1998 में वन विभाग ने भूमि पर लगाया था।
विकास के नाम पर इसी तरह पेड़ काट दिए जाएंगे तो एक दिन हर तरफ सिर्फ कंकरीट का जंगल नजर आएगा। पेड़ों से मिलने वाली प्राणवायु से यहां के स्थानीय वंचित हो जाएंगे। सभी पेड़ काटने से अच्छा है कि कुछ पेड़ किनारों पर रहने दिए जाएं या ट्रांसलोकेट किए जाएं। -डा.राहुल अवस्थी, कवि एवं शिक्षक
शहर को बस अड्डे की जरूरत है लेकिन पर्यावरण की कीमत पर विकास नहीं होना चाहिए। सागौन के पेड़ ऑक्सीजन का बड़ा स्रोत होते हैं इसलिए इन्हे काटने के बजाए ट्रांसलोकेट किया जाए तो ज्यादा बेहतर होगा। -डा. प्रदीप कुमार, एसो. प्रोफेसर, विधि विभाग
एक तरफ तो वन महोत्सव मनाकर पेड़ लगाने की बात कही जाती है तो दूसरी तरफ पेड़ काटे जा रहे हैं। पर्यावरण को लेकर यह दोहरा रवैया आखिर क्यों है। धीरे-धीरे पेड़ काट दिए जाएंगे जो एक दिन सांस लेना भी मुश्किल होगा। -प्रमिला सक्सेना, स्थानीय निवासी
कोरोना काल के दौरान हमनें भयंकर ऑक्सीजन की कमी को झेला है। पेड़ों से ऑक्सीजन मिलती है यह सभी जानते हैं, बावजूद इसके पेड़ों का इस तरह काटा जाना बेहद अफसोस नाक है। – कमलकांत तिवारी, मैनेजर
पेड़ों को काटने के बजाए दूसरी जगह शिफ्ट किया जाना चाहिए। पहले भी जब पेड़ों को ट्रांसलोकेट किया जा चुका है तो इन पेड़ों को शिफ्ट करने में क्या दिक्कत है। पेड़ बचाने के लिए स्थानीय लोगों को भी आगे आना चाहिए। – संजीव मेहरोत्रा, बरेली ट्रेड यूनियन
सागौन के पेड़ों को नहीं किया जा सकता ट्रांसलोकेट
प्रभागीय वनाधिकारी भारत लाल ने बताया कि सागौन के पेड़ों को ट्रांसलोकेट नहीं किया जा सकता है। इनको शिफ्ट करते वक्त पेड़ खराब होने का खतरा रहता है। सागौन जैसे पेड़ व्यावसायिक मकसद से लगाए जाते हैं। जो पेड़ ट्रांसलोकेट हो सकते हैं उनको हमने शिफ्ट किया है। ग्राम्य वन मंझा में भारी संख्या में पेड़ ट्रांसलोकेट किए गए हैं। उत्तर प्रदेश में यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी संख्या में पेड़ शिफ्ट किए जा रहे हैं।
बरेली में वन क्षेत्र 0.01, डा. प्रदीप ने कलेक्ट्रेट में दिया ज्ञापन
बरेली कॉलेज में विधि विभागाध्यक्ष और कर्मचारी नगर निवासी एसो. प्रोफेसर प्रदीप कुमार के साथ कई लोग मिनी बाईपास पर काटे जा रहे पेड़ों की कटाई रोककर उन्हें बचाने के लिए स्लोगन लिखे पोस्टर लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। इस दौरान जिलाधिकारी के नाम एक ज्ञापन प्रशासनिक अधिकारी रवि मिश्रा को सौंपा। जिसमें कहा है कि बरेली में वन क्षेत्र 0.01 है, सतत विकास की अंतर्राष्ट्रीय और राष्ट्रीय नीति के तहत पर्यावरण की कीमत पर विकास उचित नहीं। कोरोना महामारी के दौरान ऑक्सीजन के स्त्रोत पेड़ों को नहीं काटा जाना चाहिए। मिनी बाइपास पर काटे जा रहे पेड़ों को कहीं और ट्रांसलोकेट कर वन क्षेत्र को बचाया जा सकता है। इस दौरान, सौम्या, स्वपनिल सिंह, सान्या,कृष्ण लाल, मनोज कुमार, नीरज शर्मा, राजेश चौधरी आदि मौजूद रहे।