बरेली: घूंघट की ओट में लिया वोट..अब कराऊंगी गांव का विकास

बरेली, अमृत विचार। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत का सेहरा पहनने वाली महिला प्रत्याशियों में गजब का उत्साह दिखाई दे रहा था। उनका कहना था कि वह भी अपने गांव की बहू-बेटी हैं। जिस तरह से गांव के लोगों ने उन पर यकीन करके प्रधान व अन्य पदों की बागडोर सौंपी है, उनकी उम्मीदों पर …
बरेली, अमृत विचार। त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में जीत का सेहरा पहनने वाली महिला प्रत्याशियों में गजब का उत्साह दिखाई दे रहा था। उनका कहना था कि वह भी अपने गांव की बहू-बेटी हैं। जिस तरह से गांव के लोगों ने उन पर यकीन करके प्रधान व अन्य पदों की बागडोर सौंपी है, उनकी उम्मीदों पर खरा उतरने की कोशिश करुंगी। चूंकि वह महिला है। इसलिए गांव की एक महिला के सामने सामाजिक व आर्थिक तौर से क्या दिक्कतें आती हैं, वे इसे अच्छी तरह से जानती है।
महिला प्रत्याशियों का यह भी कहना है कि गांव में सबसे ज्यादा शोषित महिला वर्ग ही हैं। पुराने सोच की वजह से उन्हें आज भी देहरी लांघने नहीं दिया जाता है। इन विचारों से ऊपर उठकर महिलाओं के विकास को लेकर भी पूरी तरजीह दी जानी है। एक महिला प्रत्याशी होने के नाते वे आसानी से इस बात को समझ सकती हैं। ऐसे में जरूरी दिशा में काम कराया जा सकता है।
चुनाव जीतने वाली महिला प्रत्याशियों का ये है कहना
पहली बार चुनाव लड़ा है। पति रेलवे में गार्ड हैं। अभी कुछ समय पहले ही रिटायर हुए हैं। मुझे अभी राजनीतिक ज्ञान नहीं है, लेकिन यह जरूर पता है कि उनके गांव के लोगों के सामने क्या परेशानियां हैं। विकास के कौन से काम पहले होने चाहिए। लोगों ने पूरे भरोसे के साथ चुनाव जिताया है तो उनके इस यकीन पर भी उतरना बड़ी जिम्मेदारी है। -राजवती, विजेता प्रधान पद, बिचरा बाल किशनपुर (क्यारा)
गांव में विकास का पहिया तेजी से घूमना चाहिए। जब तक ईमानदारी के साथ काम नहीं होगा, यह संभव नहीं है। मेरे गांव में भी तमाम जनसमस्याएं हैं। बिजली, सड़क सहित तमाम बुनियादी जरूरतें हैं। पूरी कोशिश करुंगी कि जीतने के बाद अब गांव में तरक्की की संभावनाएं और भी ज्यादा तलाश की जाएं। -ममता, विजेता बीडीसी, कांधरपुर
गांव में अभी भी बड़ी संख्या में ऐसे परिवार हैं, जहां रहने वाली महिलाएं घर की चौखट नहीं लांघ सकती हैं। उनका पूरा जीवन चौका-चूल्हा करने में ही बीत जाता है। उन्हें विकास की मुख्यधारा से जोड़ा जाना चाहिए। कोशिश करुंगी कि इस पर पूरी निष्ठा और मेहनत के साथ काम हो, ताकि सकारात्मक परिणाम भी दिखाई दे। -सुरजा देवी, विजेता प्रत्याशी, बीडीसी, गुड़ियानारायन, क्यारा
पति प्रधान थे, लेकिन अब महिला सीट होने की वजह से मैने चुनाव लड़ा है। गांव की जनता ने मुझे अपना मुखिया चुना है। वो सारे अधूरे काम पूरे कराने का प्रयास करूंगी, जो प्रधान पद पर रहते हुए उनके पति राजवीर नहीं करा सके थे। गांव के लोग ने दोबारा मेरे परिवार पर विश्वास किया है, इसे किसी कीमत पर टूटने नहीं दूंगी। – रजनी, विजेता प्रत्याशी, प्रधान, बिरिया नारायनपुर, क्यारा