गिद्धों की वापसी से खुशहाल हुआ पीलीभीत, अब क्षेत्र में सात प्रजातियां चिन्हित

पीलीभीत, अमृत विचार। पीलीभीत टाइगर रिजर्व में अब बाघों के दहाड़ के बीच गिद्धों का कलरव भी गूंजने लगा है। पूर्व में विलुप्त हो रहे गिद्धों की संख्या अब यहां साल-दर-साल बढ़ती दिखाई दे रही है। अहम बात यह है कि भारतीय उपमहाद्वीप में गिद्ध की नौ प्रजातियों में सात पीलीभीत में पाई जाती है। गिद्धों के झुंड बराही रेंज के लग्गा भग्गा से लेकर धनाराघाट तक देखे जा रहे हैं।
पीलीभीत टाइगर रिजर्व अपनी जैव विविधता के लिए देश-दुनिया में पहचान बनाता नजर आ रहा है। बढ़ती जैवविविधता के बीच अब यहां विलुप्त हो रहे गिद्धों का भी संसार भी देखा जा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक पशुओं के शव ठिकाने लगाने के लिए प्रकृति ने गिद्धों के रूप में सफाई कर्मी दिए। धीरे-धीरे जब माहौल बदला तो गिद्धों के झुंड विलुप्त होते चले गए।
एक समय ऐसा आया कि लोगों की नजर से गिद्ध पूरी तरह ही दूर हो गए। इसके बाद गिद्धों को लेकर संरक्षण का काम शुरू किया गया। जिसका परिणाम यह हुआ कि यहां विलुप्त हो रहे गिद्धों के झुंड फिर दिखाई देने लगा है। गिद्धों के झुंड यहां के घास के मैदानों में छितरे हुए शीशम और सेमल प्रजातियों पर देखे जा रहे हैं। पीलभीत टाइगर रिजर्व समेत आसपास क्षेत्र में गिद्धों की सात प्रजातियां चिन्हित की गई है।
पक्षी संरक्षण की दिशा में कार्य रही रही संस्था टरक्वाइज वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी के अध्यक्ष मोहम्मद अख्तर मियां के मुताबिक पूरे भारतीय उपमहाद्वीप में गिद्धों की नौ प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें से 07 प्रजातियां पीलीभीत टाइगर रिजर्व समेत आसपास क्षेत्र में पाई जाती हैं। हालांकि उनके मुताबिक सभी सातों प्रजाति का जमावड़ा यहां शरद ऋतु में ही देखा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि इनकी संख्या फरवरी से लेकर अप्रैल तक सर्वाधिक रहती है। यह सभी सातों प्रजातियां पीलीभीत टाइगर रिजर्व के बराही जंगल के फैजुल्लागंज वीट से लेकर लग्गा भग्गा तथा हरीपुर में धनाराघाट में देखी जा सकती है।
दूसरे प्रदेशों से आती हैं तीन प्रजातियां
पीलीभीत टाइगर रिजर्व समेत आसपास क्षेत्र में गिद्धों की सात प्रजातियों में 04 प्रजातियां यहां की मूल निवासी हैं, जबकि 03 प्रजाति के गिद्ध यहां के शरदकालीन प्रवासी हैं। सोसायटी अध्यक्ष के मुताबिक यह तीनों प्रजातियां हिमालय समेत दक्षिणी क्षेत्र से प्रवास को आती हैं। इसमें हिमालयन वल्चर सबसे बड़ा होता है। यहां के स्थानीय गिद्धों की चारों प्रजातियां वैश्विक महत्व की भी है।
गिद्ध पारिस्थतीकीय तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। इनके संरक्षण की भी अपार संभावनाएं हैं। जागरुकता अभियान और नियमित सर्वेक्षण कर इनकी संख्या को बढ़ाया जा सकता है- मोहम्मद अख्तर मियां खान, अध्यक्ष, टरक्वाइज वाइल्डलाइफ कंजर्वेशन सोसायटी
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