Eid 2025 : लोगों के लिए ज़कात है खास, ईद से पहले किया जाता है ये दान

Eid 2025 : लोगों के लिए ज़कात है खास, ईद से पहले किया जाता है ये दान

अमृत विचार। इस्लाम धर्म में ईद पर ज़कात एक अनिवार्य दान माना गया है। जिसे समाज में रह रहे जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए दिया जाता है। इसे इस्लामी आर्थिक व्यवस्था का महत्वपूर्ण अंग माना गया है। जिसका उद्देश्य समाज में आर्थिक संतुलन को बनाए रखता है। वहीं ईद से पहले ज़कात देना विशेष माना जाता है। ताकि इस दिन हर कोई ईद की खुशियों में शामिल हो पाए। चाहे वह कैसी भी स्तिथि में हो। वही मुस्लिम धर्मगुरुओ के अनुसार ईद से पहले ज़कात की परंपरा पैगम्बर मुहम्मद के ज़माने से की जाती रही है इसे ज़कात-उल -फ़ित्र या फिर सदका-ए-फ़ित्र कहा जाता है। जो रमजान के पाक महीने के अंत में दी जाती है।  

ईद से एक दिन पहले ज़कात देने का नियम 

इस्लाम में ये मान्यता है कि पैगंबर ने इस दान को अनिवार्य इसी लिए किया था ताकि रोजेदारों की भूल चूक का प्राश्चित हो सके और गरीब इस दिन ईद की खुशी को अच्छे से मना सके बिना किसी भी प्रकार की समस्या। इस अवसर पर गरीबों, मिस्कीनों और जरुरतमंदो को ये ज़कात दी जाती है। जिनके पास ईद मानाने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते है। 

यह दान है खास, मिलता है पुण्य 

मौलानाओ के अनुसार ज़कात सिर्फ एक प्रकार का दान नहीं, बल्कि धार्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। ये अमीर और गरीब के बीच की दुरी को मिटाने की एक सच्ची कोशिश है। समाज में आर्थिक न्याय को इससे बढ़ावा मिलेगा। कुरान शरीफ के स्थानों पर ज़कात देने की प्रथा का उल्लेख हुआ है इसे धार्मिक कर्त्तव्य बताया गया है। वहीं रमजान में ज़कात का महत्व और भी बढ़ जाता है। रमजान पर ज़कात से अधिक पुण्य की प्राप्ति होती है। और इससे 70 गुना ज्यादा सवाब मिलता है। यह अल्लाह के करीब जाने का एक जरिया भी माना जाता है 

धार्मिक ही नहीं बल्कि सामाजिक मान्यता से जुडी है प्रथा 

ईद पर ज़कात देना केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि समाज में एकता दया भाव समानता का एक माध्यम है। इससे समाज में जरूरतमंद को जीने की एक वजह मिलती है।इससे उसका जीवन तो नहीं सुधरता पर एक उम्मीद की किरण जरूर जग जाती है कि वह इस समाज में अकेला नहीं है। उसकी मदद के लिए हर कोई है।  

 

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