Kanpur: अब डीमैट अकाउंट पोर्टिबिलिटी की तैयारी, निवेशकों को होगा लाभ, सामने आ सकतीं ये चुनौतियां...
कानपुर, अमृत विचार। मोबाइल नंबर और हेल्थ इंश्योरेंस की तरह अब शेयर बाजार के निवेशक अपने डीमैट अकाउंट को भी पोर्ट कर सकेंगे। इसके लिए तैयारी शुरू हो गई है। इस सुविधा से निवेशकों को उनकी पसंद के डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट (डीपी) चुनने में आसानी होगी। शहर में लगभग 10 लाख डीमैट खाते हैं। इनमें पिछले वर्ष ही लगभग तीन लाख डीमैट अकाउंट नए खोले गए हैं।
मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी और हेल्थ इंश्योरेंस पोर्टिबिलिटी ने ग्राहकों को अपनी पसंद की सेवाएं चुनने की आजादी दी है। इसी तरह अब डीमैट अकाउंट पोर्टिबिलिटी की दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। शेयर बाजार में निवेश से जुड़ी संस्थाओं से ऐसे संकेत मिले हैं कि डीमैट अकाउंट पोर्टिबिलिटी को लागू करने की संभावनाओं पर विचार किया जा रहा है। इसका उद्देश्य निवेशकों को अधिक स्वतंत्रता और सुविधा प्रदान करना है।
निवेशकों को मिलने वाली सुविधा पर केश्री ब्रोकिंग के को-फाउंडर, आर्थिक मामलों के विशेषज्ञ राजीव सिंह ने बताया कि डीमैट अकाउंट पोर्टिबिलिटी का मतलब है कि निवेशक अपने डीमैट अकाउंट को एक डिपॉजिटरी पार्टिसिपेंट से दूसरे डीपी में ट्रांसफर कर सकते हैं। इसके लिए उन्हें शेयरों या निवेशों में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं करना होगा। यह प्रक्रिया मोबाइल नंबर पोर्टिबिलिटी की तरह होगी, जहां उपभोक्ता बिना नंबर बदले अपनी टेलीकॉम कंपनी बदल सकते हैं। यह सुविधा न केवल निवेशकों को शक्ति प्रदान करेगी बल्कि वित्तीय प्रणाली को और अधिक ग्राहक-केंद्रित बनाएगी।
क्यों पड़ी इसकी जरूरत
मौजूदा समय में डीमैट अकाउंट बदलने की प्रक्रिया लंबी और जटिल है। इसके अलावा कोविड महामारी के बाद डीमैट अकाउंट्स की संख्या में भारी वृद्धि हुई है। अधिक निवेशकों को लुभाने के लिए बेहतर सेवाओं की आवश्यकता की वजह से भी यह कदम उठाया जा रहा है। उधर सीमित विकल्प होने से निवेशकों को उच्च शुल्क और कम सेवा गुणवत्ता का सामना करना पड़ता है। पोर्ट होने के बाद इस जटिलता से सुविधा मिल सकेगी।
निवेशकों के लिए लाभ
डीमैट अकाउंट के पोर्ट होने के बाद यदि किसी निवेशक को अपने मौजूदा डीपी से असंतोष है तो वे आसानी से बेहतर सेवाएं प्रदान करने वाले डीपी में स्विच कर सकते हैं। इसके अलावा विभिन्न डीपी द्वारा ली जाने वाली चार्जेज और फीस में काफी भिन्नता होती है। पोर्टिबिलिटी से निवेशक को किफायती विकल्प चुनने का विकल्प मिलेगा। इसके अलावा इस पहल से डीपी के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, जिससे सेवाओं में सुधार और पारदर्शिता आएगी। पोर्ट की सुविधा मिलने के बाद अधिक निवेशकों को जोड़ने में मदद मिलेगी। इसके साथ ही यह कदम भारतीय वित्तीय प्रणाली को विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
सामने आ सकती हैं चुनौतियां
डीमैट पोर्टिबिलिटी जैसी सुविधा को लागू करने में कई तकनीकी और प्रशासनिक चुनौतियां भी सामने आ सकती हैं। इनमें पोर्टेबिलिटी के लिए डिपॉजिटरी सिस्टम को अपग्रेड करना जरूरी होगा। इसी तरह जागरूकता अभियान चलाने की जरूरत होगी ताकि निवेशक इस सुविधा का लाभ उठा सकें। उधर डेटा ट्रांसफर को सुरक्षित और पारदर्शी बनाना भी प्राथमिकता होगी। विभिन्न डीपी की तकनीकी प्रणालियां अलग-अलग हो सकती हैं।
डीमैट अकाउंट पोर्टिबिलिटी भारतीय निवेशकों के लिए एक बड़ा सुधार हो सकता है। इससे न केवल उन्हें अधिक स्वतंत्रता मिलेगी, बल्कि यह बाजार में नई संभावनाओं को भी जन्म देगा। यह भारतीय निवेशकों को अधिक अधिकार, बेहतर सेवाएं और पारदर्शिता प्रदान करेगा। इससे न केवल निवेशकों का विश्वास बढ़ेगा, बल्कि देश के वित्तीय क्षेत्र में एक क्रांतिकारी बदलाव लाएगा। यदि यह पहल सफल होती है तो यह भारत के पूंजी बाजार को और अधिक सशक्त बनाएगी।- राजीव सिंह, आर्थिक विशेषज्ञ