Kannauj: नवाब के सीज होटल को लेकर वकीलों में जोरदार बहस, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने पेश किए तर्क, मामले में आज हो सकता है आदेश

Kannauj: नवाब के सीज होटल को लेकर वकीलों में जोरदार बहस, दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं ने पेश किए तर्क, मामले में आज हो सकता है आदेश

कन्नौज, अमृत विचार। रेप के आरोप में जेल में बंद पूर्व ब्लाक प्रमुख नवाब सिंह यादव के सीज होटल को कोर्ट आदेश के बावजूद न खोलने को लेकर कोर्ट में शुक्रवार को जोरदार बहस हुई। इस दौरान उनके वकीलों ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना बताया है। सरकारी वकील ने न्यायालय से सीज होटल को खोलने का आदेश वापस लेने की बात कही वहीं दूसरे पक्ष की ओर से होटल को जल्द सीलमुक्त कराने और अवमानना करने वाले जिम्मेदारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गुहार लगायी गयी। 

दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं की बहस सुनने के बाद आदेश सुरक्षित कर लिया गया है। मालूम हो कि रेप के मामले में फंसने के बाद से ही नवाब की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रहीं हैं। उनके समेत भाई और पीड़िता की बुआ पर पुलिस गैंगस्टर की कार्रवाई कर चुकी है। इसी क्रम में पिछले दिनों होटल चंदन तथा भाई नीलू के बचपन स्कूल को कुर्क किया गया था। इसके बाद होटल को खुलवाने के लिये अधिवक्ताओं ने जिलाधिकारी से मुलाकात की थी। 

वकीलों का कहना था कि न्यायालय का स्टे होने के बावजूद पुलिस ने तिर्वा के गांव सखौली में सपा नेता का करोड़ों की लागत से बने होटल को 21 दिसंबर को प्रशासन ने कुर्क करते हुये सील कर दिया। कार्यवाही के खिलाफ नवाब के भाई सुदर्शन सिंह यादव कोर्ट चले गये थे। 24 दिसंबर को सिविल जज सीनियर डिवीजन के यहां से होटल को सीलमुक्त कराने का आदेश ले आये थे। 

बावजूद इसके होटल को नहीं खोला गया। इसके बाद अधिवक्ता रामजी श्रीवास्तव की अगुवाई में वकीलों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिलाधिकारी को न्यायालय का आदेश दिखाते हुये होटल को सीलमुक्त कराने की मांग की थी। कहा था कि प्रकरण में 3 जनवरी को सुनवाई नियत है। इस क्रम में शुक्रवार को  अधिवक्ताओं ने न्यायालय के आदेश की अवहेलना का मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन के न्यायालय उठाते हुये प्रार्थना पत्र पेश किया। यहां उनके अधिवक्ता रामजी श्रीवास्तव का कहना था कि न्यायालय से स्टे होने के बावजूद होटल को बलपूर्वक पुलिस बल के साथ सीज करने की कार्रवाई की गयी। 

जिम्मेदार अधिकारियों को भी न्यायालय के आदेश को दिखाया गया, लेकिन उन्होंने आदेश का गंभीरता से पालन करवाने में रुचि नहीं दिखायी। कहा कि अवमानना में जिम्मेदारों को कानून में वर्णित धारा में सजा दी जानी चाहिए। वहीं सरकार की ओर से डीजीसी सिविल प्रशांत त्रिवेदी ने न्यायालय से स्टे आदेश वापस लेने का अनुरोध करते हुये कहा कि संपत्ति गैंगस्टर एक्ट में सीज की गयी है। जिसको विपक्ष की ओर से छुपा लिया गया। 

यह भी कहा कि गैंगस्टर में प्रावधान है कि 90 दिन के भीतर इस पर आपत्ति दाखिल की जा सकती है कि संबंधित संपत्ति गलत तरीके से नहीं बनाई गई। इसके साथ ही स्टे के मुताबिक संपत्ति को कुर्क किया गया है ध्वस्तीकरण या कब्जे जैसी कार्रवाई नहीं हुई है। काफी देर तक चली बहस के बाद न्यायाधीश ने फैसला सुरक्षित कर लिया है। माना जा रहा है कि शनिवार को इस संबंध में आदेश आ सकता है।

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