पुराने दस्तावेजों में दर्ज खालिस्तानियों की जमीनी तलाश शुरू
- नैनीताल और ऊधम सिंह नगर में खालिस्तानी गतिविधियों पर नजर - डीआईजी कुमाऊ ने सभी जिलों के लिए जारी किए निर्देश
हल्द्वानी, अमृत विचार : उत्तर प्रदेश के पीलीभीत खालिस्तानियों के एंकाउंटर के बाद कुमाऊं में पुलिस अलर्ट पर है। वजह ये कि खालिस्तानियों का कुमाऊं से पुराना नाता है। पूरनपुर में सोमवार सुबह पंजाब और उत्तर प्रदेश पुलिस की संयुक्त टीम ने तीन खालिस्तानी आतंकवादियों को मुठभेड़ में मार गिराने के बाद तराई क्षेत्र में एक बार फिर आतंकियों के सक्रिय होने की बात सामने आ गई है। इस मुठभेड़ ने पीलीभीत के साथ नैनीताल, ऊधमसिंहनगर और खीरी जिलों में भी सुरक्षा एजेंसियों को सतर्क कर दिया है। कुमाऊं की छह जिलों की पुलिस ने भी पुराने दस्तावेजों में दर्ज खालिस्तानियों की जमीनी तलाश शुरू कर दी है।
वर्ष 1980 और 1990 के दशक में जब पंजाब में खालिस्तानी आतंकवाद चरम पर था। पीलीभीत, लखीमपुर खीरी, नैनीताल, ऊधमसिंहनगर और शाहजहांपुर के सीमावर्ती इलाकों में खालिस्तान समर्थक आतंकवादियों ने कई हमले किए थे। वर्ष 1992 में पीलीभीत के जंगलों में 29 लोगों की हत्या कर दी थी। नैनीताल और ऊधमसिंहनगर जैसे शांतिपूर्ण इलाकों में भी खालिस्तानी आतंकवादियों ने अपनी गतिविधियां जारी रखी थीं। यहां तक कि 1985 से लेकर 1997 तक इस क्षेत्र में आतंकवादियों ने कई वारदातों को अंजाम दिया था।
पीलीभीत के पूरनपुर में मुठभेड़ के बाद से नैनीताल और ऊधमसिंहनगर में पुलिस और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता बढ़ गई है। तीन खालिस्तानी आतंकवादियों की मौत के बाद पुलिस ने इन आतंकवादियों के समर्थकों और उनके ठिकानों के बारे में जांच तेज कर दी है। खासकर ऊधमसिंहनगर और नैनीताल के सीमावर्ती क्षेत्रों में इस मुठभेड़ के बाद सुरक्षा व्यवस्था को कड़ा किया गया है। डीआईजी योगेंद्र सिंह रावत ने बताया कि पुलिस हमेशा से ही सतर्कता बरतती है। पीलीभीत में एनकाउंटर के बाद संदिग्धों की गतिविधियों पर नजर रखी जा रही है। फिलहाल हालात सामान्य हैं।